बाल विवाह पर पूरी तरह विराम लगाने के लिए, राजस्थान के बूंदी प्रशासन ने शादी की पत्रिका पर वर और वधु की जन्मतिथि छापना अनिवार्य किया है। साथ ही एक वैधानिक चेतावनी को छापना जरूरी है 'बाल विवाह दंडनीय है।'हर साल अक्षय तृतीया पर्व पर कई बच्चों को शादी के बंधन में बांध दिया जाता है और इसे देखते हुए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि यह त्योहार इस साल 7 मई को आएगा और राजस्थान में गुपचुप तरीके से इस दिन कई बच्चों का विवाह कराया जाता है।जिला प्रशासन ने अपने क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखने के लिए स्कूल प्रिंसिपल्स, लैंड रिकॉर्ड इंस्पेक्टर, ग्राम सेवक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की टीमों का गठन किया है। ये घरों में रंगाई-पुताई, बच्चों की हथेली पर मेंहदी, स्कूल से बच्चों की अनुपस्थिति, बैंड बाजा बजने, पुजारियों और वाहनों की बुकिंग आदि विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखेंगे।गौरतलब है कि बाल विवाह के मामले में भारत छठवें नंबर पर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 51.6 लाख लड़कियों की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले हुई थी, जबकि 23.8 लाख लड़के 21 साल की उम्र से पहले ही विवाह के बंधन में बंधे थे। लड़कियों और लड़कों दोनों के बाल विवाह की बात करें तो राजस्थान इस सूची में सबसे ऊपर है।
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