(काल्पनिक)
जनपद कुशीनगर के अहिरौली बाजार थाना क्षेत्र में किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कदम कदम पर चूक हुई। पहले पुलिस ने सिर्फ मारपीट का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। 36 घंटे बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर भी सिर्फ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ। उधर, रविवार की रात पीड़िता की हालत बिगड़ी तो परिजन उसे मेडिकल कॉलेज ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस का मामला बताकर इलाज किए बगैर लौटा दिया। पीड़िता की हालत गंभीर थी। ऐसे में डॉक्टरों को किशोरी का इलाज करना चाहिए था। बाद में वे पुलिस को सूचना दे सकते थे।पुलिस की लापरवाही से सामूहिक दुष्कर्म की शिकार किशोरी को शुरू से ही इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा। पहले सुकरौली पीएचसी पर महिला डॉक्टर नहीं होने के कारण उसे देवतहां सीएचसी भेजा गया। वहां पीड़िता के साथ पुलिस नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने मारपीट का मामला मानते हुए सिर्फ प्राथमिक उपचार किया। बाद में किशोरी के साथ पुलिस गई तब जाकर महिला डॉक्टर ने मेडिकल किया। इसके बाद पीड़िता को घर भेज दिया गया। भाई का आरोप है कि घर पहुंचने के बाद रविवार की रात किशोरी की हालत बिगड़ गई। घरवाले उसे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस का मामला बताकर लौटा दिया। उनहेंने पीएचसी ले जाने की सलाह दी। सोमवार की सुबह पीड़िता को सुकरौली पीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
पीड़िता को पहले भर्ती करना चाहिए था : सीएमो
सीएमओ डॉ. हरिचरण सिंह ने कहा कि नियमानुसार पीड़िता को पहले भर्ती किया जाना चाहिए था। ऐसे मामलों में पुलिस खुद मेडिकल कराने के लिए लेकर आती है।
एसपी राजीव नारायण मिश्र ने बताया
पीड़िता के साथ एक महिला और एक पुरुष कांस्टेबल लगाया गया है। पैथालॉजिकल जांच और डीएनए टेस्ट के लिए आरोपियों का ब्लड सैंपल लेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला वाराणसी भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट होगा कि किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई है अथवा नहीं। इस मामले में चार आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। शेष दो आरोपियों की तलाश की जा रही है।
रिपोर्ट: ओमप्रकाश कुमार
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