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बिहार: राज्य में फिलहाल खनन कार्य में फंसा पेच, एक बार फिर बालू संकट की आशंका


राज्य में फिलहाल खनन कार्य में पेच फंसा हुआ है। इससे एक बार फिर बालू संकट की आशंका बन गई है। कारण बालू घाटों की नई बंदोबस्ती अब तक नहीं हो सकी है। पुराने बंदोबस्तधारियों के काम करने की मियाद खत्म हो रही है। उनके पास खनन के लिए केवल दस दिनों की अवधि शेष है। यदि सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की तो 31 दिसंबर के बाद खनन कार्य ठप हो जाएगा। अगले वर्ष फरवरी-मार्च से बालू की किल्लत का सीधा असर निर्माण कार्यों पर पड़ेगा।


बालू की कमी की आशंका के मद्देनजर ही खान एवं भूतत्व विभाग ने ग्रामीण कार्य, भवन निर्माण, पंचायती राज, पीएचईडी आदि तमाम निर्माण कार्य विभागों को पत्र लिखकर बालू का पर्याप्त भंडारण कर लेने के लिए आगाह किया है।


बंदोबस्ती के बाद पर्यावरणीय मंजूरी लेना टेढ़ी खीर




दरअसल, नई बंदोबस्ती हो भी जाए तो पर्यावरणीय मंजूरी लेना टेढ़ी खीर होती है। मंजूरी लेने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और महीनों लग जाते हैं। अभी पुराने बंदोबस्तधारी अपने पास पूर्व से जमा बालू का स्टाक बेचने में लगे हैं। खनन की गति मंद है। बिक्री की संभावना पर खनन हो रहा है। कई पुराने पट्टेदारों की नई व्यवस्था में छोटे घाटों की नीलामी में रुचि नहीं है। कइयों को नीलामी में सफलता पाने के आसार नहीं लगते।



आधिकारिक सूत्र भी मानते हैं कि बालू की बंदोबस्ती के बाद भी वैध खनन में अभी कम से कम 9-10 महीने का समय लगेगा। लिहाजा कमोबेश बालू की किल्लत हो सकती है। इसक सीधा असर बालू की कीमतों पर पड़ेगा। अधिकतर स्थानों पर गुपचुप तरीके से बालू के अवैध खनन और भंडारण का काम चल रहा है।


बंदोबस्ती मामला एनजीटी में लंबित रहने से हुआ विलम्ब


बालू घाटों की नए साल से अगले पांच साल के लिए बंदोस्ती होनी है। कायदे से बंदोबस्तधारियों के चयन की प्रक्रिया छह माह पूर्व पूरी कर लेनी चाहिए थी। लेकिन नई बालू नीति और छोटे घाटों की बंदोबस्ती का मामला एनजीटी में महीनों तक लंबित रहने के कारण ऐसा नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक बंदोबस्ती अगर एक-दो सप्ताह में पूरी भी कर दी जाए तो पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए कम से कम दस माह लग जाएंगे। पर्यावरणीय मंजूरी देने के लिए गठित समिति 'सिया की कार्यप्रणाली के कारण ऐसा विलंब होता है।


अल्प अवधि विस्तार के प्रस्ताव को अभी मंजूरी नहीं


पर्यावरणीय मंजूरी मिलने में होने वाले विलंब को देखते हुए खान विभाग ने सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था कि पुराने बंदोबस्तधारियों के कामकाज की अवधि में तत्काल अल्प अवधि का विस्तार किया जाए। इससे बालू की कमी नहीं होगी। विभाग के इस प्रस्ताव को सरकार ने अभी मंजूरी नहीं दी है। फिलहाल लाइसेंसधारियों ने बालू का जो भंडार रखा है, उससे अगले दो-तीन माह तक ही बालू की वैध आपूर्ति की जा सकती है।


फिलहाल 30 करोड़ सीएफटी बालू का भंडार


विभाग के मुताबिक फिलहाल करीब 30 करोड़ सीएफटी बालू का भंडार है। औसतन 6.50 करोड़ घनफुट से अधिक बालू की हर माह खपत है। भंडारित बालू से तीन माह तक आपूर्ति हो सकती है। इसलिए ही विभागों को भी लाइसेंस लेकर जिलास्तर पर भंडारण के लिए कहा गया है।


भवन निर्माण ने एजेंसियों को बालू का भंडारण करने को कहा


बालू घाटों की बंदोबस्ती में होने वाली संभावित देरी को देखते हुए भवन निर्माण विभाग ने एजेंसियों को बालू का भंडारण करने का आदेश दिया है। इस बाबत अभियंता प्रमुख कश्यप गुप्ता की ओर से मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंताओं को पत्र लिखा गया है।


पत्र में कहा गया है कि साल 2015-19 के लिए बालू घाटों की बंदोबस्ती 31 दिसम्बर को समाप्त हो रही है। एक जनवरी 2020 से बालूघाटों से बालू की खुदाई नहीं होगी। नए नियम के अनुसार बालू घाटों की बंदोबस्ती होने में समय लग सकता है। इसे देखते हुए सभी एजेंसियां छह महीने के लिए बालू का भंडारण कर ले। 31 दिसम्बर के पहले हर हाल में बालू का भंडारण सुनिश्चित हो जाए, यह इंजीनियर अपने स्तर से भी सुनिश्चित करा लें। एजेंसियों का यह दायित्व है कि वह अपने खपत का आकलन करते हुए बालू का भंडारण कर ले। इसके लिए जिला खनन पदाधिकारी से स्टॉकिस्ट लाइसेंस प्राप्त करें।




गौरतलब है कि भवन निर्माण राज्य सरकार के तीन दर्जन से अधिक विभागों का निर्माण कर रहा है। इसमें स्कूल, अस्पताल, आईटीआई, इंजीनियरिंग कॉलेज, बाल आश्रय गृह, थाना भवन से लेकर कोर्ट-कचहरी भी शामिल हैं। निर्माण कार्योँ की अहमियत और योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए खान एवं भूतत्व विभाग के पत्र के आलोक में भवन निर्माण ने यह पत्र जारी किया है।




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