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कुशीनगर: लॉकडाउन के दौरान जिले में आपातकाल से निपटने के लिए परिवहन निगम की दो बसों को सैनेटाइज कर किया तैयार

कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन के दौरान जिले में आपातकाल से निपटने के लिए परिवहन निगम की दो बसों को सैनेटाइज कर तैयार किया गया है। इन बसों पर दो चालक व परिचालकों चौबीस घंटे के लिए तैनाती हुई है। इन बसों को डीएम के निर्देश पर जिले में कहीं भी भेजा जा सकता है। कुशीनगर में संचालित सभी 34 बसों के पहियों के थमने के कारण पिछले पांच दिनों में करीब 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।


कुशीनगर में 11 साल पूर्व 2009 में कसया-पडरौना मार्ग स्थित छावनी में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की पडरौना डिपो का निर्माण हुआ। डिपो बनने के बाद पहली बार रोडवेज बसों का पहिए थमे हैं। पडरौना डिपो से 21 निगम व 13 अनुबंधित बसें संचालित होती हैं। इसके अलावा कुशीनगर से प्रतिदिन देवरिया, गोरखपुर, चारबाग, लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, फैजाबाद, वाराणसी, सहारनपुर, राप्तीनगर, गोण्डा समेत विभिन्न डिपो की ढाई सौ बसें चलती थी। पडरौना डिपो को प्रतिदिन करीब चार लाख की आमदनी होती थी। पिछले 22 मार्च को लागू जनता कर्फ्यू की सुबह से रोडवेज बसों के पहिए थम गये हैं। इन बसों के बंद होने से इन पर तैनात 54 परिचालक व 50 चालकों का काम बंद हो गया है। शासन के निर्देश पर परिवहन विभाग ने निगम की 21 बसों का दस फीसदी यानी दो बसों को सैनेटाइज कर आपातकाल से निपटने के लिए तैयार किया है। इन बसों पर दो चालक व दो परिचालकों की 24 घंटे के लिए तैनात की गई है। डीएम के निर्देश पर आपातकाल के दौरान इन बसों को कहीं भी दौड़ाया जा सकता है।


पडरौना डिपो की दो बसों को सैनेटाइज कर आपातकाल के लिए तैयार किया गया है। इन बसों पर चालकों व परिचालकों को तैनात कर दिया गया है। पिछले 22 मार्च से पडरौना डिपो के सभी बसों का पहिए थमे हुये हैं। इससे काफी नुकसान हुआ है।
बिंदू प्रसाद, एआरएम पडरौना डिपो


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