जनपद में सर्प मित्र डॉ आशीष त्रिपाठी बचा रहे सर्पो सहित कई बेजुबान वन्यजीवों की जान

जनपद में सर्प मित्र डॉ आशीष त्रिपाठी बचा रहे सर्पो सहित कई बेजुबान वन्यजीवों की जान

इटावा :वन्यजीवों की जान बचाना अब जिनका जुनून बन चुका है उनका नाम है डॉ आशीष अब तक जनपद इटावा में वन्यजीव विशेषज्ञ व सर्प मित्र के नाम से मशहूर डॉ आशीष त्रिपाठी लगभग दो दर्जन से अधिक कोबरा,घोड़ा पछाड़,व कई अजगरो को रेस्क्यू कर सुरक्षित उनके प्राकृतवास में छोड़ चुके है। साथ ही इटावा शहर में अनगिनत घरों से दर्जनों सर्पो व विस्ख़ापरों को सुरक्षित पकड़कर उनकी जान बचा चुके है। कई साल पहले मध्य रात्रि में ही भर्थना जाकर डॉ आशीष ने एक संरक्षित प्रजाति के जीव पेंगोलिन को भी शिकारियों से सुरक्षित बचाया था। कल इकदिल क्षेत्र के कुशगंवा ग्राम में वन्यजीव सप्ताह के दौरान एक गांव में अजगर निकलने की सूचना मिलने पर डॉ आशीष त्रिपाठी तत्काल मौके पर पहुंचे व लगभग 6 किलो वजनी व 6 फुट लम्बे अजगर को अपने कब्जे में लेकर उसे सुरक्षित जगह पर ले जाकर उसके प्राकृतवास में छोड़ दिया । डॉ आशीष ने बताया कि यह अजगर इंडियन रॉक पायथन पी. मोलूरस प्रजाति का विषहीन व वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत एक संरक्षित सर्प भी है । इससे किसी को कोई भी खतरा नहीं है। क्यों कि इसमें कोई जहर नही होता है, बस यह केवल भूँखा होने पर ही कभी हमलावर हो सकता है।इसी के साथ डॉ आशीष जनपद इटावा में घड़ियाल,कछुआ,डॉलफिन,सारस,


गौरैया व अन्य कई वन्यजीवों के संरक्षण के लिये कई वर्षों से संस्था ओशन के माध्यम से वन्यजीव जागरूकता कार्यशाला बिना किसी आर्थिक सहायता व बिना किसी सरकारी विभाग के सहयोग के निःस्वार्थ ही संचालित कर रहे है। अब तक वे जनपद के कई विद्यालयों में संस्था ओशन द्वारा वन्यजीव संरक्षण की कार्यशाला आयोजित कर हजारों छात्र छात्राओं को सर्प मित्र बनने व वन्यजीव संरक्षण की शपथ दिला चुके है। संस्था ओशन के महासचिव डॉ आशीष त्रिपाठी बताते है कि, जनपद इटावा के आस पास पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के विषहीन व विषधारी सर्प हमारे घरों में इसलिये प्रवेश करते है क्यों कि, जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण व जंगल के कटान के कारण इनके प्राकृतिक वास लगातार नष्ट हो रहे है इसलिये इन वन्यजीवों का हमारे घरों की ओर रुख करना एक आम बात है और कहीं न कहीं भोजन की बड़ी कमी भी इनका हमारे इलाको में प्रवेश करने का एक बड़ा कारण हो सकता है


अतः हमे इन्हें पहचान कर आपसी समन्वय बनाने के साथ ही उन्हें बचाने के भी प्रयास भी करने होंगे क्यों कि प्रकृति में उपस्थित महत्वपूर्ण खाद्य श्रंखला में इन सभी प्रकार के सर्पो का एक विशेष महत्व है । उन्होंने बताया कि,सर्प कभी भी हमारे ऊपर हमलावर नही होते जब तक कि उनको किसी भी प्रकार से परेशान न किया जाये, धरती पर मौजूद विभिन्न सर्पो में विषहीन व विषधारी प्रजातियां मौजूद है इनमे से हमारे आस पास बिग 4 (केवल चार प्रकार के सर्प) की प्रजातियाँ ही मौजूद है जो की हमारे लिये खतरनाक है हम सबको बस इन चार प्रकार के सर्पों से ही सावधान रहना होगा । जिनमें कोबरा, करैत, रसल वाइपर, और सॉ स्केल्ड वाइपर प्रमुख है । हमारे आस पास आजकल अजगर (पायथन) रेट स्नेक (घोड़ा पछाड़, धामन चूहे खाने वाला सर्प), दोमुंही (रेड सेंड बोआ कुचलैड) इनकी उपस्थिति भी प्रायः देखी जा रहे है लेकिन ये तीनों ही विषहीन प्रजातियां है जिनमे किसी भी प्रकार का कोई जहर नही पाया जाता है । सर्प हमारे मित्र है शत्रु नही है ये सर्प ही प्रकृति में चूहों की संख्या को नियंत्रित करते है। उन्होंने लोगो से सर्पो को बचाने की अपील भी की है । डॉ आशीष इटावा जनपद में ही नही बल्कि जनपद से बाहर प्रदेश की राजधानी स्थित लखनऊ विश्विद्यालय लखनऊ में भी पिछले वर्ष सर्पो पर अपना विशेष व्याख्यान देकर कई सर्प मित्र बना चुके है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ