समाज का पहला रोल माॅडल मां होती है, क्योंकि मां ही बच्चे को समाज व दुनिया ही पहचान कराती है:डाॅ0 नवीन गुप्ता

समाज का पहला रोल माॅडल मां होती है, क्योंकि मां ही बच्चे को समाज व दुनिया ही पहचान कराती है:डाॅ0 नवीन गुप्ता


मेरठ। समाज का पहला रोल माॅडल मां होती है। क्योंकि मां ही बच्चे को समाज व दुनिया ही पहचान कराती है। दूसरी बात यह है कि महिला मानसिक रूप से सबसे मजबूत होती है। इसीलिए महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना होगा, उनको अपने घर परिवार के अलावा अपना भी ध्यान रखना होगा। वर्तमान समय में महिलाओं को अनेक प्रकार से स्ट्रैस से गुजरना पडता है, इसके अनेक कारण होते है बावजूद इसके महिला को यदि वास्तव में सशक्त होना है तो मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। यह बात शासन द्वारा मिशन शक्ति अभियान के तहत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा आयोजित वेबिनार के दौरान व्यवहारिक वैज्ञानिक एवं प्रबंधन सलाहाकार डाॅ0 नवीन गुप्ता ने कही।


डाॅ0 नवीन गुंप्ता ने कहा कि आज के विकसित और बदलते भारत के साथ नारी अपनी सुरक्षा खुद ही कर सकें ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए नारी को अपनी सुरक्षा को लेकर खुद ही तैयार होना पड़ेगा भारत सरकार नारी सुरक्षा को लेकर जागृत हे, और उसके लिए कड़े कानून और नियम के साथ-साथ सजा भी करता है।


इस अवसर पर प्रीति ज्वाला बिष्ट रावत ने कहा कि महिलाएं अपने सशक्तिकरण के साथ समाज का भी उत्थान करें। महिलाओं को शैक्षिक रूप से मजबूता होना होगा, जागरूकता उत्पन्न करनी होगी। कन्या भ्रूण जैसे अपराध को रोकना होगा। इसके बाद ही महिला सशक्त हो सकती है। इस दौरान प्रति कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रो0 वाई विमला ने कहा कि शक्ति का अर्थ बाहुबल से नहीं है, बल्कि अपने अंदर सामथ्र्य लाना है। महिलाओं को अपने को जानने की आवश्यकता है, अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है। क्योंकि महिलाओं के बिना पुरूष व पूरा ब्रहांड अधूरा है। कार्यक्रम का संचालन कर रही प्रो0 बिन्दु शर्मा ने कहा कि भारत देश एक परंपराओं का देश है जो अपनी परंपरा और संस्कृति को लेकर प्रसिद्ध है। जहां नारी को देवी का रूप मानकर उनका सम्मान किया जाता है। उसे लक्ष्मी का रूप माना गया है। आज की आधुनिक समाज में नारी को भी पुरुष के समक्ष माना गया है फिर भी आज की नारी की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए हैं, आज भी ऐसा लगता है की नारी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। भारत के बदलते युग के साथ-साथ नारी को लेकर सोच को भी काफी हद तक बदल गई है आज की नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ चलकर काम कर रही है। शिक्षित होकर अपने जीवन में नई ऊँचाइयों को पा रही है। इस दौरान प्रो0 संजय भारद्वाज सहित विभिन्न विभागों की छात्राएं व प्रधानाचार्य मौजूद रहीं।


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