पाई पाई जोड़ बुजुर्ग महिला ने एकत्र की सवा किलो चांदीरा, रामलला का दर्शन करने के बाद ट्रस्ट को किया दान

पाई पाई जोड़ बुजुर्ग महिला ने एकत्र की सवा किलो चांदीरा, रामलला का दर्शन करने के बाद ट्रस्ट को किया दान


अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या के नाम पर बनी जिला और मंडल की रहने वाली एक 98 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने पाई पाई जोड़ रकम इकट्ठा की। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए इस जमा पूंजी से सवा किलो वजनी चांदी की ईद खरीदी। शुक्रवार को राम नगरी अयोध्या पहुंच राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला का दर्शन पूजन किया और फिर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के शिविर कार्यालय पहुंच सवा किलो वजनी चांदी की ईट दान की। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट


के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने दान स्वीकार किया।


    1992 में दान का लिया था संकल्प


  फैजाबाद शहर की रहने वाली 98 वर्षीय बुजुर्ग महिला केतकी देवी ने बताया कि वर्ष 1992 में राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था। जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा करने के लिए देश के तमाम हिस्सों से लाखों कारसेवक अयोध्या आए थे। सरकार ने कार सेवा और मंदिर निर्माण की अनुमति नहीं दी थी। उत्साही कारसेवकों ने जन्मभूमि परिसर स्थित ढांचे को ढा दिया था। उसी समय तय किया था कि जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सवा किलो चांदी दान करूंगी। इस संकल्प को पूरा करने के लिए तभी से जुट गई। जो कुछ पहले से जमा पूंजी मौजूद थी उसमें पाई पाई कर रकम जोड़नी शुरू कर दी। 8 साल तक जो कुछ कहीं से मिला उसको एकत्रित करती रही। जब सवा किलो चांदी की ईट खरीदने भर का पैसा पास में एकत्र हो गया तो परिवार को अपनी इच्छा बताई और दुकान पर जाकर सवा किलो वजनी चांदी की ईद खरीदी। बुजुर्ग खेत की देवी का कहना है कि परिवार से कहा कि ले चल कर मुझको विराजमान रामलला का दर्शन कराओ। भगवान श्री राम का दर्शन करने के बाद यह चांदी की ईट राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दान करनी है। उन्होंने बताया कि सवा किलो चांदी की ईद दान करने के बाद उसका संकल्प पूरा हुआ। इसको लेकर उसे असीम खुशी है। इससे भी ज्यादा खुशी इस बात को लेकर है कि प्रभु श्री राम के जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है और जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।


 


ट्रस्ट की न के बाद भी दान आ रहा सोना और चांदी


देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या विवाद में जमीन के मालिकाना हक मामले की सुनवाई करते हुए विवादित जमीन का फैसला विराजमान श्री राम लला के पक्ष में दिया गया था। सर्वोच्च अदालत में जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण और इसकी देखरेख के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट गठित करने का आदेश दिया था जिसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया है। ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर निर्माण को लेकर कवायद जारी है।


हिंदू धार्मिक मान्यता के मुताबिक सोना चांदी के दाम को सर्वोच्च माना जाता है। अपनी सामर्थ्य के मुताबिक श्रद्धालु सोना-चांदी, हीरा-जवाहरात आराध्य प्रभु को दान करते रहे हैं। फैसले के बाद रामलला को दान में मिला करोड़ों रुपए का सोना चांदी और हीरा जवाहरात परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त अयोध्या की ओर से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को हस्तगत कराया गया था। ट्रस्ट के गठन और खाता खुलने के बाद मंदिर निर्माण की आवश्यकताओं को देखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्ट की ओर से श्रद्धालुओं से अपील की गई थी कि लोग सोना चांदी के बजाय मंदिर निर्माण के लिए रुपये का दान करें। क्योंकि ट्रस्ट के पास न तो सोना चांदी और जेवरात को परखने की व्यवस्था है और ना ही इसको रखने की। बावजूद इसके श्रद्धालुओं की ओर से लगातार सोना चांदी दान के रुप में आ रहा है। इसके पीछे कारण हिंदू धर्म की मान्यता को बताया जाता है।


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के शिविर कार्यालय के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्ता का कहना है कि शुक्रवार को शहर निवासी 58 वर्षीय बुजुर्ग महिला केतकी देवी देवी ने राम मंदिर निर्माण के लिए सवा किलो चांदी की ईद दान की है। अब तक ट्रस्ट के पास दान के रुप में डेढ़ कुंतल से ज्यादा चांदी आई है जिसको ट्रस्ट में बैंक के लॉकर में रखवाया है। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए नकद राशि की जरूरत है। इसलिए श्रद्धालुओं से रुपया दान करने की अपील की गई है। हालांकि ट्रस्ट किसी की आस्था और श्रद्धा को दरकिनार नहीं कर सकता इसलिए सोना चांदी व अन्य चीजों का दान भी लिया जा रहा है। कार्यालय प्रभारी ने बताया कि राम मंदिर के लिए आवश्यक चांदी ट्रस्ट के पास मौजूद है। इसके रखरखाव के लिए ट्रस्ट को बैंक को रकम अदा करनी पड़ रही है। चांदी सोना का इस्तेमाल मंदिर में केवल गर्भ गृह की चौखट और भगवान के झूले तथा दरवाजे में ही होना है।


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