अखिलेश यादव के लिए आ रही बहुत बड़ी खुशखबरी, पूर्वांचल का यह बाहुबली जल्द होगा सपा में शामिल

अखिलेश यादव के लिए आ रही बहुत बड़ी खुशखबरी, पूर्वांचल का यह बाहुबली जल्द होगा सपा में शामिल


आजमगढ़ : भाजपा द्वारा दरकिनार करने व कांग्रेस से लड़ने के बाद जमानत जब्त होने से राजनीति में हाशिए पर चल रहे बाहुबली रमाकांत यादव एक बार फिर नए ठिकाने की तालाश में जुट गए है। सपा मुख्यालय पहुंचकर रमाकांत द्वारा अखिलेश से मुलाकात करने के बाद से एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गयी है कि वे साइकिल पर सवार होने वाले है। अखिलेश यादव के करीबी व रमाकांत के रिश्तेदार सपा नेता विकास यादव ने फेसबुक पर पोस्ट कर यह दावा किया है कि रमाकांत यादव पांच अक्टूबर को सपा में शामिल हो जाएगे। इससे चर्चा को और बल मिल रहा है। अगर रमाकांत सपा में शामिल होते है तो यह पूर्वांचल में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए उप चुनाव से पहले बड़ा झटका होगा।


बता दें कि रमाकांत यादव ने वर्ष 1984 में जगजीवन राम की पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। सपा के गठन के बाद वे मुलायम सिंह के साथ चले गए थे। एक दौर था कि रमाकांत यादव को मुलायम सिंह का सबसे करीबी माना जाता था लेकिन गुटबाजी और पार्टी में अपना दबदबा कायम करने के चक्कर में रमाकांत ने दुर्गा यादव, अमर सिंह व बलराम यादव जैसे कद्दावर नेताओं का अपना धुर विरोधी बना लिया था। वर्ष 2004 में रमाकांत को समाजवादी पार्टी छोड़नी पड़ी थी। उस समय वे बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और लोकसभा जीत गए लेकिन राजनीति लाभ के लिए हमेशा से दल बदल के माहिर रहे रमाकांत यादव बसपा में भी नहीं रह पाए और वर्ष 2007 में योगी आदित्य नाथ की शरण में पहुंच गए। इसके बाद बीजेपी ने वर्ष 2008 में उन्हें आजमगढ़ सीट से लोकसभा उपचुनाव लड़ाया लेकिन रमाकांत बसपा के अकबर अहमद डंपी से हार गए।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वे फिर बीजेपी से सांसद चुने गए लेकिन अपने सवर्ण विरोधी रवैये और राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के चक्कर में रमाकांत यादव ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्य नाथ सहित कई बड़े नेताओें को अपना विरोधी बना लिया। परिणाम रहा कि बीजेपी ने वर्ष 2019 में रमाकांत यादव को टिकट न देकर फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा। राजनीतिक भविष्य खतरे में देख रमाकांत यादव प्रिंयका की शरण में गए और कांग्रेस ने उन्हें न केवल पार्टी में शामिल किया बल्कि भदोही लोकसभा सीट से मैदान में भी उतार दिया लेकिन रमाकांत यादव यहां अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।
पिछले दिनों उन्हें मिली वाई श्रेणी सुरक्षा भी वापस ले ली गयी। इससे रमाकांत का कद और घट गया। राजनीतिक कैरियर समाप्त होता देख रमाकांत यादव एक बार फिर अखिलेश यादव की शरण में पहुंच गए है। वैसे उन्होंने 2019 के चुनाव में भी सपा में शामिल होकर आजमगढ़ या जौनपुर से टिकट हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन उस समय अखिलेश ने टिकट तो दूर पार्टी में शामिल तक नहीं किया था। अब लोकसभा चुनाव में गठबंधन की हार के बाद अखिलेश यादव को भी मजबूत कंधो की जरूरत महसूस हो रही है।
माना जा रहा है कि इसीलिए अब वे रमाकांत को पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार हो गए है। रविवार को रमाकांत यादव लखनऊ सपा मुख्यालय पहुंचकर अखिलेश यादव से मिले थे। इसके बाद से ही उनके समर्थकों में यह चर्चा है कि अब रमाकांत यादव साइकिल पर सवार होने वाले है। रमाकांत के करीबी रिश्तेदार विकास यादव ने फेेसबुक पर पोस्ट कर इस चर्चा को और बल दे दिया है।


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