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परिवारवाद के खिलाफ बोलने वाले रघुवर दास पर उनके समर्थकों ने उन्हीं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का लगाया आरोप

विधानसभा चुनाव में सरयू राय से मिली हार के बाद रघुवर दास ने मंगलवार को जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर में समर्थकों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उनके सामने ही कार्यकर्ता आपस में उलझे गए। सोनारी एयरपोर्ट से रघुवर दास सीधे मंदिर पहुंचे, जहां बैठक शुरू होते ही उनके करीबियों पर हार का ठिकरा फोड़ते हुए कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया। एक-दूसरे पर आरोप लगाने के दौरान दो कार्यकर्ता भिड़ गए और हाथापाई पर उतारू हो गए। रघुवर दास और दूसरे नेताओं के बीचबचाव से हाथापाई तो रुक गई, लेकिन विरोध के स्वर तेज होते गए।


रिश्तेदार हार के मुख्य कारण


परिवारवाद के खिलाफ बोलने वाले रघुवर दास पर उनके समर्थकों ने उन्हीं पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पांच साल में रघुवर दास के रिश्तेदार पार्टी पर हावी होते चले गए, जिसके चलते कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटता गया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, एक कार्यकर्ता ने रघुवर दास से सवाल करते हुए कहा कि उनको अपने रिश्तेदारों की संपत्ति का आकलन करना चाहिए। कमलेश साहू, दिनेश कुमार और और मूलचंद साहू की पांच साल पहले की संपत्ति और आज की संपत्ति के बीच का फर्क आंकना चाहिए। रिश्तेदारों पर स्वार्थ हित में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सभी रिश्तेदारों ने पार्टी में पद हासिल किया। टाटा स्टील में नौकरी ली, लेकिन कार्यकर्ताओं से कभी सीधी जुबान से बात तक नहीं की।


कई लोगों को पद से हटाने की मांग की गई


बैठक के बीच कार्यकर्ताओं ने सीधे तौर पर रामबाबू तिवारी, मनिंदर चौधरी, पवन अग्रवाल, जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार सहित कई लोगों को तुरंत पद से हटाने की मांग की। सभी ने उनपर रघुवर दास को हमेशा गुमराह करने का आरोप भी लगाया गया, जिसके चलते उन्हें कभी सही स्थिति का पता नहीं चल सका।
सूत्रों की मानें तो बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि यदि ये लोग अब भी रघुवर दास के साथ बने रहेंगे तो जल्द ही कई कार्यकर्ता सरयू के खेमे में शामिल हो जाएंगे? रघुवर दास दो घंटे से ज्यादा की माथापच्ची के दौरान कई लोगों को बैठक से जाने का आदेश भी देते रहे, ताकि शांति से चर्चा हो सके।


हार के लिए दुष्प्रचार को जिम्मेदार ठहराया 


बैठक के बाद रघुवर दास बाहर आए और मीडिया से बात करते हुए हार के लिए उनके खिलाफ किए गए दुष्प्रचार को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि राज्य के विकास के लिए उन्होंने पांच साल मेहनत की, फिर भी विरोधियों को उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने में कामयाबी मिली। परिवारवाद को हार का कारण न मानते हुए रघुवर ने कहा कि उनके कार्यकर्ताओं को धमकी भरे फोन किए जा रहे हैं। उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है, ताकि वे साथ छोड़ दें। ऐसे लोगों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि धमकी भरे फोन से उनके कार्यकर्ता डरने वाले नहीं हैं। आखिर में उन्होंने कहा कि उनके लिए राज्य का विकास हमेशा प्राथमिकता पर रहा है और हार के बाद भी उनका संघर्ष जारी रहेगा।


भावुक हुए रघुवर


अपनी हार की समीक्षा करने के बाद रांची लौटते समय सोनारी एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के दौरान वे काफी भावुक हो गए। उनकी आंखें भर आईं। इस दौरान कई महिला कार्यकर्ता भी रोने लगीं। 


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