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गोरखपुर में दो स्‍थानों पर करीब तीन सौ मरे पाए गए चमगादड़,क्षेत्र में फैली सनसनी


गोरखपुर में दो स्‍थानों पर करीब तीन सौ चमगादड़ मरे पाए गए हैं। एक साथ इतनी बड़ी संख्‍या में चमगादड़ों की मौत से ग्रामीणों में डर फैल गया है। बदबू से परेशान ग्रामीणों ने मिट्टी खोद कर बड़ी संख्‍या में मरे चमगादड़ों को दफन कर दिया है। लेकिन चमगादड़ों के मरने का दौर अब भी जारी है। उधर,वन विभाग और पशुपालन विभाग की टीम ने भी मौके का मुआयना कर ग्रामीणों को आश्वास्त किया कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। गोपालपुर में ये चमगादड़ यूकेलिप्ट्स के पेड़ों पर डेरा डाले हुए थे। हजारों की संख्या में चमगादड़ पहले गांव में बहुत पुराने पेड़ को अपना डेरा बनाए हुए थे। कुछ महीने पहले आंधी में वह पेड़ गिर गया। उसके बाद चमगादड़ों ने पास के खेत में लगाए गए यूकेलिप्ट्स के पेड़ों पर डेरा जमा लिया। गोपलापुर के शिवप्रताप राय, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सम्पूर्णा नन्द पाण्डेय और राणा यादव ने बताया कि रविवार को कुछ चमगादड़ मरे मिले थे। उनसे बदबू आ रही थी। इसलिए जमीन खोद कर उन्हें दफना दिया गया लेकिन सोमवार को फिर काफी संख्या में चमगादड़ मिले। यह सिलसिला थमने के बजाए बढ़ता जा रहा है। मंगलवार की सुबह भी काफी संख्या में चमगादड़ मृत मिले तो ग्रामीणों ने पशु चिकित्साधिकारी एवं वन विभाग को सूचित किया। ग्रामीणों का कहना है कि चमगादड़ के कारण ही कोरोना वायसर फैला, इसलिए ग्रामीणों में भय व्याप्त है। हालांकि सेवानिवृत उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी पशु डॉ.ओ.पी. श्रीवास्तव का तर्क है कि दो दिनों से तापमान में काफी उछाल आया है। पेड़ पर चमगादड़ों को इतनी गर्मी नहीं लगती रही होगी। लेकिन यूकेलिप्टस के पेड़ में पत्तियां कम होती हैं इसलिए गर्मी से कारण चमगादड़ मर रहे होंगे। हालांकि उनका यह तर्क ग्रामीणों के गले के नीचे नहीं उतर रहा। आईवीआरआई बरेली में होगा पोस्टमार्टम गोपालपुर गांव में काफी संख्या में चमगादड़ों की रहस्‍यमय मौत की जांच इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीच्यूट इज्जतनगर बरेली में कराई जाएगी। इसके लिए चमगादड़ों को आईवीआरआई भेजने का निर्णय वन विभाग और पशुपालन विभाग की साझा टीम ने लिया है। चमगादड़ों का पोस्टमार्टम कर उनकी जांच की जाएगी कि मौत की वजह क्या है? मंगलवार को वन विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों से सूचना मिली। पशुपालन विभाग के मुख्य पशु जिला चिकित्साधिकारी डॉ देवेंद्र सिंह को यह जानकारी मिली तो उन्होंने डिप्टी सीवीओ डॉ.हौसला प्रसाद, पशु चिकित्साधिकारी बेलघाट ऋषि और पशु चिकित्साधिकारी लखुआ पाकड़ बजेश कुमार को मौके पर भेजा। उधर,डीएफओ अविनाश कुमार ने खजनी रेंजर को मौके पर भेजा। दोनों विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मौके पर उन्हें 50 के करीब चमगादड़ मरे मिले। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कुछ को गढ्ढा खोद कर दबा दिया है। मरे चमगादड़ों को पूरी सावधानी के साथ उच्चाधिकारियों के निर्देश पर नमूनों के तौर पर इक्‍टठा किया गया। उन्हें सुरक्षित तरीके से पैक कर 'इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीच्यूट' जांच के लिए भेजा जाएगा। मौके पर पहुंचे वन विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे मामले प्रदेश के कई जिलों में आए हैं। उन्‍होंने लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सावधानियों के बारे में जानकारी भी दी। बेलघाट में भी मरे मिले चमगादड़ उधर, बेलघाट में मंगलवार को राधा स्वामी सत्संग भवन के बगल में आम के बगीचे में भी बड़ी संख्‍या में चमगादड़ मरे मिले। ग्रामीणों की सूचना पर बेलघाट पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सक भी पहुंचे और नमूने एकत्र किए। रेंजर देवेंद्र कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम हेतु मृतक चमगादडों को एकत्रित कराया गया है। इन्हें जांच के लिए बरेली आईवीआरआई भेजा जाएगा। चमगादड़ों ने सत्संग भवन के निकट रोहित शाही के बहर्रा के पेड़ पर कई वर्षों से डेरा डाल रखा था। सोमवार की दोपहर से वे मरने लगे। इसके अलावा ज्ञान नारायण शाही के आम के बगीचे में भी चमगादड़ मरे मिले। डीएफओ अविनाश कुमार ने आशंका जताई कि हीट स्ट्रोक या कीटनाशक के इस्तेमाल के चलते इन चमगादड़ों की मौत हो सकती है। आईवीआरआई की जांच रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहना उचित होगा। रेंजर देवेंद्र कुमार ने बताया कि सभी स्थानों से नमूने के रूप में मरे हुए चमगादड़ों को लिया गया है।


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