पैरों में छाले पेट है खाली गरीबी एक बीमारी है जो कभी मिट नहीं सकती

पैरों में छाले पेट है खाली गरीबी एक बीमारी है जो कभी मिट नहीं सकती


विजय कुमार शर्मा


जहां लोग तकनीकी रूप से खुद को हवाई जहाज से लेकर इंटरनेट की दुनिया में अपना विशेष पहचान के साथ एक नई गति को संचालित कर रहे हैं वही आज गरीब तबके के लोग अपनी जिंदगी को रोटी की तलाश में गांव का अर्थात अपने जन्मस्थली का पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं ! कहते हैं शहरों का विकास गांव से होता है और गांव के लोग शहर के लिए अपनी योगदान के साथ निर्माण के रूप में जाने जाते हैं कोरोना वायरस ने ऐसी महामारी फैलाई की लोगों का जिंदगी मौत से दो-चार हो गई लोग मौत से बचने के लिए रोज अपनी नजर चुरा रहे हैं और किसी जुगत में लगे हैं कि हम इसकी पकड़ में ना आए इसके लिए दूरदराज काम कर रहे मजदूर तपके के लोग फायदा नहीं किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गांव व जन्मस्थली पहुंचना चाहते हैं आपको देखकर हैरानी होगी कि नन्हे सेा बचपन का वह प्यारा तस्वीर जिसके पैरों में छाले और पेट खाली फिर भी वह बुलंद हौसलों के साथ अपने माता-पिता का साथ देकर घर पहुंचना चाहता है ! सरकार निरंतर प्रयास कर रही है कि लोगों की मदद किया जाए और उनकी व्यवस्था कर उनके जन्मस्थली तक पहुंचाया जाए लेकिन जनसंख्या की दृष्टि से देखा जाए तो समस्या है उतनी समाधान नहीं हो पा रही है लोगों के पास खाने को नहीं और पैकेट और पर्स में पैसे नहीं जिससे कि वह अपनी कुछ सुलभ व्यवस्था कर इस महामारी से लड़ने के लिए दो-चार कर सकें लेकिन फिर भी वह लगातार अपने इच्छा शक्ति के अनुसार फौलादी ताकत से संभावनाओं को देखते हुए खुद को लगातार इन समस्याओं से निजात पाने के लिए कभी ट्रक में छुपकर तो कभी लंबी दूरी तय कर जिसका माध्यम साइकिल या ऑटो हो सकता है उसकी सवारी कर जिंदगी के लिए सरपट दौड़ रहे हैं ! *कोरोनावायरस बीमारी नहीं मौत का दूसरा नाम है* मौत तो सुनिश्चित है जो जन्म लेता है उसको मरना है लेकिन इस महामारी से मौत जिसका दूर्व्यवस्था और समाजिक पत्तन निरंतर हो रहा है देश दुनिया इस तबाही में खुद को बचाने के लिए अनेकानेक जद्दोजहद में जुटी हुई है लेकिन सफलता की सीढ़ी में पहले से दूसरे पायदान तक सब धोखा है दावा तो सब कर रहे हैं कि से निजात मिल गई है और मिल सकता है लेकिन अभी तक तो कोई पुष्ट दावा सामने नहीं आ रहा है आप समझ सकते हैं कि कितनी बड़ी महामारी का सामना सबसे बड़ी जनसंख्या चीन जो इस वायरस का निजात कर खुद को अलग कर बैठा है उसको देश दुनिया का विरोध झेलना पड़ रहा है वहीं दूसरी देश भारत जहां जनसंख्या की दृष्टि से संसाधन कम होने की वजह से समस्या का समाधान होना संभव नहीं लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पहल किया गया जिसमें लॉक डाउन का भी प्रयोग कर लोगों की जिंदगी बचाने का प्रयास सरकार के द्वारा किया जा रहा है ! लेकिन समस्याएं इतनी विरल है कि सरकार उन गरीब तपके तक अपनी सहायता करने में विफल साबित हो रही है जो अन्य राज्यों में अपने जीवन यापन कर रहे थे और किसी तरीके से परिवार के साथ बचते बचाते अपने जन्मस्थली तक पहुंचना चाहते हैं ! *प्यासी नजर मौत एक छलावा* साहब कोरोना से मारे या ना मारे लेकिन भूखा पेट और लंबी दूरी तय करने के बाद हो सकता है कि हम मौत का शिकार हो जाएं, छोटा सा बचपन जब विकराल मौत को सामने देखता है तो साहस भी बौना हो जाता है, प्यासी नजर से आंख में आंसू और असहनीय दर्द जिंदगी के लिए चुनौती बन मौत एक छलावा है जो आसपास भटक रहा है जब अन्य प्रदेश से आए हुए सैकड़ों की तादाद में गरीब मजदूरों से मुलाकात हुई तो उनकी दर्द देखकर आंखों में आंसू आ गए और सिर्फ एक ही ख्याल आया कि कास इसका इलाज हो सकता कई दिनों से मजदूर अपने गांव प्लायन कर रहे हैं उनको समस्या से निजात ना मिलने के कारण पैदल ही यात्रा करना पड़ रहा है,वाराणसी के रोहनियां थाना अंतर्गत जब मजबूर लोग दिखे तो लोगों ने मदद कर समाजिक और इंसानियत को जिंदा रखा! *गरीबों की मदद करने वाला मसीहा होता है लेकिन गंदी राजनीत कर रोटी सेकने वाला गिद्ध कहलाता है* सोशल मीडिया पर लगातार कुछ लोग गरीबी की पीड़ा और दर्द से भरी तस्वीरों को लगातार वायरल कर रहे हैं उनके लिए यह कथन बिल्कुल सत्य है कि *दर्द बांटो न की भुनाओ* सरकार की भी अपनी कमजोरी है किस-किस को राहत पहुंचाए कोई पीड़ित है कोई होने वाला है कोई दूर है कोई रोने वाला है किसी के पास पैसे नहीं है किसी के पास खाना नहीं है कोई लाचार है कोई बीमार है और जो स्वस्थ है उसके मन के विचार आश्वस्त हैं जिसके पास पैसे हैं वह विचार और मन से बहुत दुर्बल है, कुछ जिंदा भी है तो इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ जो गरीबी के साथ जीती है कैसे सुलभ जिंदगी मिल सकती है यह बहुत बड़ा विषाद के रूप में ऐतिहासिक महामारी जो देश को कई वर्षों पीछे धकेल कर ले गया आर्थिक रूप से कमजोर के साथ साथ मानसिक कमजोर भी व्यक्ति की सबसे बड़ी जिंदगी का तनाव बन चुकी है जिससे निजात पाने के लिए महीनों क्या बर्षो लग जाएंगे !! ईश्वर से निवेदन है कि हम सभी सुव्यवस्थित अपने घर को पहुंच जाएं और इस महामारी से बचकर आगे आने वाले दिनों में अपने जीवन चर्या के साथ जिंदगी बिता सकें !!


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