प्रकृति में समाहित है हमारी समस्याओं का समाधान, प्रकृति की करें रक्षा

प्रकृति में समाहित है हमारी समस्याओं का समाधान, प्रकृति की करें रक्षा


बगहा, पश्चिम चम्पारण , विजय कुमार शर्मा


22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ मनाया जाता है। इसे ‘विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस’ भी कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर, 2000 को 22 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ के रूप में घोषित किया था। इसके पीछे यूएनओ का मुख्य उद्देश्य यह था की विश्व में सभी लोगो को जैव विविधता के प्रति सतर्क किया जाये जिससे विश्व की जैव विविधताओं को बनी रहे और उसका संरक्षण किया जा सके। इस संदर्भ में राo उo मध्य विद्यालय, पचरुखा के शिक्षक सह विद्यालय में डब्ल्यूoडब्ल्यूoएफo इण्डिया एक पृथ्वी द्वारा संचालित 'पर्यावरण की पोटली' के प्रभारी शिक्षक सुनिल कुमार ने कहा कि पृथ्वी के संचालन में पर्यावरण तथा पर्यावरण के संचालन में जैव विविधता का सबसे अमूल्य योगदान है, इसलिए इसका संरक्षण हम सबका ना सिर्फ दायित्व है बल्कि भविष्य की अनिवार्यता भी है। प्रकृति में ही हमारी समस्याओं का समाधान समाहित है। इसलिए प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है। कोरोना रुपी इस वैश्विक महामारी भरा यह वर्ष हमारे लिए लिए चिंतन, परावर्तन, अवसर तथा समाधान भरा है। राष्ट्र व समुदाय को हम सभी से यह अपेक्षा है कि इस विश्वव्यापी महामारी में हम सभी मिलकर इस समय को राष्ट्र और समुदाय के हित में पर्यावरण के संरक्षण व विकास के लिए यथासंभव सहयोग करें। आज जैव विविधता में ह्रास के कारण प्रकृति का वृहद क्षरण हो रहा है, प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न हो रहा है जो मानव व पृथ्वी के दीर्घायु जीवन लिए नुकसानदायक है। विश्व जैव विविधता दिवस के इस वर्ष का विषय है - our solutions are in nature. हम सभी को इसपर अमल करना चाहिए। शिक्षक सुनिल कुमार विगत दो वर्षों से डब्ल्यूo डब्ल्यूo एफo इण्डिया एक पृथ्वी द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय पांडा फेस्ट कार्यक्रम में जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन आदि के क्षेत्र में विद्यालय स्तर पर प्रशंसनीय कार्य के लिए पुरस्कृत व सम्मानित हुए हैं। विभाग के परियोजना अधिकारी द्वारा प्राप्त सूचना के आधार पर शिक्षक ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस के अवसर पर MoFCC, NBA और UNEP, UNDP, IUCN-CEC, CEE और FLEDGE के साथ WWF इंडिया 'Nature-based solutions to biodiversity, health and economy विषय पर लॉकडाउन का पालन करते हुए 22 एवं 23 मई को दो दिवसीय डिजिटल सम्मेलन- MODEL CONFERENCE OF PARTIES - 1 (MCoP-1) का आयोजन कर रहा है जिसमें इस अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर देश भर के 100 से अधिक युवा प्रतिनिधि विचार-विमर्श करेंगे। विद्यार्थी कार्यक्रम का सीधा प्रसारण डब्ल्यूo डब्ल्यूo एफo इण्डिया के यूट्यूब चैनल पर 22 मई 2020 को 10:45 - 15:30 बजे https://youtu.be/1uEsPK2-vK4 तथा 23 मई 2020 को 10:00 - 16:30 बजे https://youtu.be/4s1y67mUbss पर देख जानकारी एकत्रित कर सकते हैं। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। शिक्षक ने विभिन्न स्रोतों से एकत्रित जानकारी के अनुसार बताया कि विश्व के समृद्धतम जैव विविधता वाले 17 देशों में भारत भी सम्मिलित है, जिनमें विश्व की लगभग 70 प्रतिशत जैव विविधता विद्यमान है। संपूर्ण विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत भाग ही भारत में है, लेकिन यहां विश्व के ज्ञात जीव जंतुओं का लगभग 5 प्रतिशत भाग निवास करता है। ‘भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण’ एवं ‘भारतीय प्राणी सर्वेक्षण’ द्वारा किये गये सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में लगभग 49,000 वनस्पति प्रजातियाँ एवं 89,000 प्राणी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत विश्व में वनस्पति-विविधता के आधार पर दसवें, क्षेत्र सीमित प्रजातियों के आधार पर ग्यारहवें और फसलों के उद्भव तथा विविधता के आधार पर छठवें स्थान पर है। भारत में जैव विविधता से सम्बंधित तथ्यों पर नजर डालें तो भारत में विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत भू-भाग है जिसके 7 से 8 प्रतिशत भू-भाग पर विश्व की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। प्रजातियों के समृद्धि के मामले में भारत स्तनधारियों में 7वें, पाक्षियों में 9वें और सरीसृप में 5वें स्थान पर है। वहीं विश्व के 11 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 44 प्रतिशत भू-भाग पर फसलें बोई जाती हैं तथा भारत के लगभग 23.39 प्रतिशत भू-भाग पर पेड़ और जंगल फैले हुए हैं। भारत में जैव विविधता के 4 हॉटस्पॉट केंद्र हैं-(i) हिमालय, (ii) भारत-म्यांमार सीमा (iii) सुंडालैंड्स (Sundalands) और (iv) पश्चिमी घाट। यह जैव विविधता वाला हॉटस्पॉट ऐसा जैविक भौगोलिक क्षेत्र है जिसे मनुष्यों से खतरा रहता है। भारत में जैवविविधता के संरक्षण के लिए जैवविविधता अधिनियम, 2002 एक संघीय कानून भी है जो परंपरागत जैविक संसाधनों और ज्ञान के उपयोग से होने वाले लाभों के समान वितरण तंत्र प्रदान करता है। इस अधिनियम को लागू करने के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना वर्ष 2003 में एक सांविधिक और स्वायत्त संस्था के रूप में हुई थी। यह संस्था जैविक संसाधनों के साथ-साथ उनके सतत उपयोग से होने वाले लाभ की निष्पक्षता और समान बटवारे जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के लिए सलाहकार और विनियामक की भूमिका निभाती है। मरूभूमि राष्ट्रीय उद्यान भारत में जैवविविधता के संरक्षण और विकास के लिए एक अनूठा जीवमंडल रक्षित स्थान है। यह राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह उद्यान थार रेगिस्तान के पारिस्थितिकी तंत्र का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।


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