कानपुर में डीएसपी सहित आठ पुलिसवालों को शहीद करने वाले विकास दुबे की उज्जैन से गिरफ्तारी के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम योगी से फोन पर बात की। माना जा रहा है कि जल्द ही कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर मध्य प्रदेश पुलिस विकास को यूपी पुलिस के हवाले कर देगी।
कानून के मुताबिक विकास दुबे को सबसे पहले मध्य प्रदेश पुलिस न्यायालय में जज के सामने पेश करेगी। इधर, यूपी से पुलिस की एक टीम उज्जैन के लिए रवाना हो रही है। यूपी पुलिस न्यायालय में विकास दुबे के ट्रांजिट डिमांड की मांग करेगी। चूंकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों ही प्रदेशों में भाजपा की सरकार है इसलिए माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस बड़ी तेजी से कानूनी औपचारिकताएं पूरी करेगी और यूपी पुलिस को विकास दुबे की रिमांड मिल जाएगी।
सबसे पहले कानपुर लाया जाएगा
विकास दुबे को सबसे पहले कानपुर लाए जाने की सम्भावना है। तीन जुलाई को विकास के गांव बिकरू में उसके घर दबिश देने गई टीम पर विकास और उसके साथियों ने हमला बोलकर आठ पुलिसवालों को शहीद कर दिया। पुलिस इस मामले में उससे पूछताछ करेगी। इसके लिए उसे सबसे पहले कानपुर लाए जाने की सम्भावना है।
यूपी पुलिस की मुस्तैदी पर उठे सवाल
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर में विकास दुबे की गिरफ्तारी जिस ढंग से हुई उससे यूपी पुलिस की मुस्तैदी पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले सात दिनों में यूपी पुलिस और एसटीएफ की 60 से अधिक टीमें विकास को तलाश कर रही थीं। कहा जा रहा कि मध्य प्रदेश सहित आसपास के राज्यों की सीमाओं को सील कर दिया गया है। इस बीच पुलिस ने विकास दुबे गैंग के पांच सदस्यों को एन्काउंटर में मार गिराया। विकास दुबे और उसके गैंग के कई सदस्यों के रिश्तेदारों को हिरासत में लिया गया लेकिन विकास दुबे को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई।
उज्जैन में वह जिस तरह गिरफ्तार हुआ उसे गिरफ्तारी कम सुरक्षित ढंग से सरेंडर ही माना जा रहा है। इस बीच मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने भी अप्रत्यक्ष ढंग से यूपी पुलिस की कार्यशैली पर तंज कस दिया। विकास की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की पुलिस किसी को छोड़ती नहीं है। इसे यूपी पुलिस पर एक तरह का तंज माना जा रहा है जो पिछले सात दिन विकास को पकड़ने के लिए दिन-रात एक किए हुए थी। लेकिन विकास जिस तरह कानपुर से फरीदाबाद और उज्जैन तक मूवमेंट करता रहा उससे साफ था कि पुलिस और एसटीएफ में उसके मुखबिर अब भी सक्रिय थे।
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