जम्मू-कश्मीर से हटी धारा 370 !

जम्मू-कश्मीर से हटी धारा 370 !


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर बुधवार 26 जून को जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। केंद्रीय गृहमंत्री का कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहली बार उन्होंने इस सीमांत राज्य में कदम रखा है। वहां पहुँचने से पहले ही उन्होंने एक फैसला ले लिया था कि जम्मू-कश्मीर में वर्षों से लगी धारा 370 को हटा दिया जाएगा। कश्मीर पहुंचकर गृहमंत्री शाह ने बड़े नेताओं से मुलाक़ात की और अपने फैसले के बारे में बताया। इसके बाद अब कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर धारा 370 मुक्त हो गया है!


बैठक में शाह ने जम्मू – कश्मीर में विकास के परिदृश्य की भी समीक्षा की और राज्य के विकास में तेजी लाने, बुनियादी ढांचे के निर्माण, सुशासन, सभी समुदायों के लिए समावेशी विकास और युवाओं के लिए रोजगार सृजन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। अभी तक धारा 370 को हटाने के लिए फैसला तो लिया नहीं गया है, लेकिन जल्द ही अमित शाह द्वारा ये फैसला लिया जाएगा और कश्मीर भी धारा 370 से मुक्त होकर आज़ादी की सांस लेगा।


शाह ने लगाईं अधिकारियों को फटकार


शाह ने बुधवार को अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजाम को लेकर किसी भी तरह के संतुष्टि के भाव के खिलाफ अधिकारियों को चेताया और तीर्थयात्रियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसपीओ) को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया। आज यानी गुरुवार को अधिकारियों के साथ बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर के अनंतनाग में एसएचओ, अरशद खान के घर का दौरा कर सकते हैं, जिन्होंने 12 जून को अनंतनाग में आतंकी हमले में अपनी जान गंवाई थी।शाह के साथ बैठक के दौरान आतंरिक सुरक्षा के विशेष सचिव एपी माहेश्वरी ने कहा कि मंत्री ने निर्देश दिया कि पूरी यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों या ड्यूटी स्टाफ द्वारा कभी भी संतुष्टि का भाव नहीं आना चाहिए। कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। एसपीओ का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर इंतजामों की निगरानी करनी चाहिए।


क्या है धारा 370


धारा 370 के अनुसार, देश के अन्य राज्यों की तरह कश्मीर में भारत सरकार के नियम कानून नहीं लागू होते हैं। इस राज्य के मामले में केन्द्र सरकार केवल रक्षा, विदेश नीति, वित्त और संचार के मामलों में ही दखल दे सकती है। संघ और समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर केन्द्र सरकार कानून नहीं बना सकती है। राज्य में नागरिकता, सं‍पत्ति रखने का अधिकार और सभी मौलिक अधिकार राज्य के अधिकार में हैं।राज्य में भारत की शीर्ष न्यायलय के फैसले भी मान्य नहीं है। यहाँ के नागरिक दो देशों की नागरिकता भी ले सकते हैं। जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी करती है तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी, लेकिन यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती है, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता है।


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