मुलायम के इस करीबी नेता के गढ़ में सपा-बसपा को मिली करारी शिकस्त

मुलायम के इस करीबी नेता के गढ़ में सपा-बसपा को मिली करारी शिकस्त

कानपुर: एक वक्त था जब कानपुर साउथ की सियासत चौधरी परिवार के इर्द-गिर्द घुमती थी। मेहरबान सिंह पुरवा से समाजवादी पार्टी की रणनीति बनती और एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर साइकिल दौड़ा करती थी। लेकिन 2012 के बाद चौधरी परिवार और अखिलेश यादव के बीच अनबन हुई और जिसका नतीजा रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में दोआब में सपा को करारी शिकस्त उठानी पड़ी। कुछ ऐसा हाल उपचुनाव में सामनें आया। गोविंद नगर सीट में सपा उम्मीदवार सम्राट विकास सिंह 31 बूथों में 10 वोटों का आंकड़ा तक छू नहीं पाए। वहीं बसपा उम्मीदवार देवी प्रसाद तिवारी को 146 बूथों में महज 7 से 8 वोट ही पा सके।


मुलायम के सबसे करीबी थे चौधरी 
राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह यादव के पिता स्व. पूर्व सांसद चौधरी हरमोहन सिंह समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह के करीबी थे। मुलायम सिंह इन्हें बड़े साहब कहकर संबोधित करते थे। मुलायम सिंह ने जब समाजवादी पार्टी का गठन किया तो चौधरी हरमोहन सिंह उनके कंधे से कंधा मिलाकर चले। चौधरी हरमोहन सिंह के निधन के बाद अखिलेश और चौधरी परिवार में अनबन हो गई। सपा से सांसद होने के बावजूद सुखराम सिंह शिवपाल यादव के साथ दिखे। फिर हरमोहन सिंह की जयंती पर भाजपा के नेताओं को बुलाया।
नहीं किया प्रचार
सपा के राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव अपने को चुनाव प्रचार से दूर रखा। मतदान से ठीक पहले उन्होंने गांव में विराट दंगल का आयोजन रखा। जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, ग्रहराज्यमंत्री चिन्यानंद के अलावा शिवपाल यादव सहित कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की थी। एक सपा नेता के मुताबिक यदि सुखराम सिंह यादव अपने क्षेत्र में प्रचार करते तो पार्टी को इतनी करारी हार का सामना नहीं करना पड़ता। यादव और मुस्लिम बाहूल्य बूथों पर सपा से आगे कांग्रेस और भाजपा रही।
सपा प्रदेश अध्यक्ष का घर
साउथ में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का निवास है। उन्होंने खुद उपचुनाव में यहां आकर तीन जनसभाएं की। लेकिन पार्टी को जीत नहीं दिलवा पाए। 24 अक्टूबर को गोविंद नगर सीट के मतों की गणना हुई। 25 चरणों की गिनती के बाद भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र मैथानी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेश की करिश्मा ठाकुर से 21215 वोटों से विजयी हुए। मैथानी को कुल 60004 और करिश्मा को 38789 वोट मिले। बसपा को 5323 और सपा को 11767 वोट मिले ।
पहली बार करारी हार
दरअसल कुल 349 बूथों में सपा 31 बूथों पर दहाई से नीचे रही तो वहीं 20 बूथों पर सौ से अधिक मत पाए। सपा प्रत्याशी सम्राट विकास को कुल 11915 वोट मिले। उनकी लड़ाई केवल रावतपुर, मसवानपुर और गुजैनी के मतदान केंद्रों तक ही सिमटी नजर आई। सपा किसी भी बूथ पर 200 मत तक नहीं पहुंच पाई। जबकि यहां की जिम्मेदारी अखिलेश यादव ने सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी, इरफान सोलंकी, पूर्व विधायक सतीश निगम सहित अन्य दिग्गज नेताओं को दी हुई थी।
कई बूथों पर नहीं खुला खता 
349 बूथों में बसपा 146 बूथों पर दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। तीन बूथ तो ऐसे रहे जहां बसपा का खाता ही नहीं खुला। बसपा किसी भी बूथ पर सौ मत हासिल नहीं कर सकी। बसपा प्रत्याशी देवी प्रसाद तिवारी को इस उपचुनाव में कुल 1,19,219 वैध मतों में सिर्फ 5434 वोट ही मिले। पार्टी को सर्वाधिक 97 मत गुजैनी में बूथ संख्या 299 पर मिले। इसके अलावा फ्लोरेस्ट इंटर कॉलेज एफ ब्लाक पनकी के बूथ संख्या 140, हर मिलाप मिशन स्कूल दबौली के बूथ संख्या 239 और विशंभर नाथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रतनलालनगर के बूथ संख्या 256 पर पार्टी के खाते में एक भी वोट नहीं आया।


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