देवरिया: भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एवं आईआईटी बोम्बे व उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से सोलर एम्बेसडर वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमे की ब्लॉक -भाटपार रानी व गौरीबाजार के 30 स्कूलों के 8000 पंजीकृत बच्चों को समूह की 50 महिलाओं ने सोलर एम्बेसडर वर्कशॉप के तहत लैम्प असेम्बली करना सिखाया गया और बच्चों ने खुद अपने हाथों से लैम्प बनाया और उनको ये लैप दे दिया गया इसी क्रम में पूरे उत्तर प्रदेश के 30 जनपदो के 77 ब्लॉको के तहत 2000 से अधिक स्कूलों में 2 लाख 65000 बच्चों को 2000 समूह की महिलाओं ने सोलर लैम्प वर्कशॉप के तहत लैम्प बनाना सिखाया व 1 ही दिन में 2 लाख 65000 बच्चे सोलर लैम्प से लाभान्वित हुए
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2 अक्टूबर 2019 – महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष में विश्व भर के 100 से अधिक देशों से 10 लाख बच्चों ने ग्लोबल स्टूडेंट सोलर असेंबली में एक साथ हिस्सा लिया । इस ग्लोबल स्टूडेंट सोलर असेंबली में २ गिनीज़ कीर्तिमान भी स्थापित किये गए. पहला कीर्तिमान दुनिया भर में सबसे ज्यादा सोलर लैंप असेंबली के लिए और दूसरा कीर्तिमान विश्व का सबसे बड़ा पर्यावरण स्थिरता शिक्षण के लिए स्थापित किया गया।
इस योजना से जुड़ने के बाद समूह की महिलाओं के जीवन के विभिन्न पहलुओं में अतीव बदलाव आये , जिसके अगर आर्थिक द्रष्टिकोण की बात की जाये तो जो महिलाएं पहले अपनी आवश्यकताओं के लिए अपने पति या मायके पर निर्भर रहा करती थी तथा आर्थिक निर्भरता के कारण अपने परिवार के समक्ष स्वाविचार रखने में झिझकती थी| उन महिलाओं के व्यक्तित्व में योजना के क्रियान्वयन से अर्जित वेतन के कारण आत्मविश्वाश रूपी नयी उर्जा का संचार हुआ है जिसके कारण आज वे आर्थिक आत्मनिर्भर होने के साथ साथ अपने विचारों को पूर्ण अधिकार एवं सहेजता के साथ परिवार के समक्ष रखती है |
वही अगर सामाजिक द्रष्टिकोण से देखे तो जिन महिलाओं की सोच के आयाम सिर्फ घर तक ही सीमित थे तथा जिन्हें समाज के समक्ष अपने विचार रखने में भय लगता था , तथा जो महिलाये अपने आप को अशिक्षित समझ कर अपने अन्दर कुंठा की भावना रखती थी | 70 लाख सौर उर्जा योजना से जुड़ने के बाद वे महिलाये एक तरफ तो अध्यापिका के सामान विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों को सोलर लैंप एवं सौर उर्जा के विषय में समझाती है ।
वहीं दूसरी तरफ सामाजिक मंचो पर भी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों एवं सौर उर्जा की आवश्यकता के विषय पर सामाजिक जन चेतना विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रही है तथा समाज में सोलर दीदी के रूप में अपनी पहचान बना रही है |इनके साथ ही देश भर के हजारों स्कूलों और कई सामाजिक संस्थाओं जैसे रुग्णालय, जेल, सार्वजनिक स्थान इत्यादि में भी इस कार्यशाला का आयोजन किया गया ।वैश्विक स्तर की इस कार्यशाला को अंजाम देने के लिए आईआईटी बोम्बे के प्रोफ. चेतन सिंह सोलंकी ने पिछले वर्ष गाँधी ग्लोबल सोलर (GGSY) यात्रा की शुरुआत एतिहासिक साबरमती आश्रम से की थी. इस दौरान उन्हीने पूरी दुनिया में 30 से अधिक देशों में और भारत के 50 से अधिक शहरों में भ्रमण किया और नागरिकों को पर्यावरण में होने वाले बदलाव और सौर उर्जा के बारे में जागृत किया. इस मौके पर प्रोफ. सोलंकी की लिखी हुयी पुस्तक “उर्जा स्वराज – सौर सत्यों के साथ मेरे प्रयोग” का भी अनावरण किया गया. गाँधी जी के ग्राम स्वराज की विचारधारा से प्रभावित यह किताब उर्जा स्वावलंबन की बात करती है.
ऊर्जा स्वराज दरअसल एक ऐसा विचार है, जो इस प्रकार का वातावरण बनाने को प्रेरित करता है जहाँ स्थानीय लोग अपनी दैनिक ज़रुरतों की उर्जा का उत्पादन एवं उपयोग करने में सक्षम हो. इस प्रकार हर ग्राम, क़स्बा, मोहल्ला और शहर के लोग स्वयं की उर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं.
जिस गति से पर्यावरण बदल रहा है उसको मद्धेनज़र रखता हुए यदि समय पर नहीं चेता जाये तो हो सकता है की इस दूनिया से मानवता ही विलुप्त हो जाये. और, इस के लिए समाज के हर तबके, गाँव, क़स्बे, मोहल्ले और शहर के लोगों को सौर उर्जा की दिशा में आगे बढ़ कर कतय करना चाहिए.
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मौजूदा परिदृश्य में दुनिया की ऊर्जा जरूरतें विरोधात्मक हैं, जहां पर एक ओर सर्वव्यापी ऊर्जा की पहुँच उपलब्ध कराना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर, ऊर्जा के अत्यधिक इस्तेमाल से जलवायु में काफी प्रतिकूल बदलाव आ रहा है। दुनिया का तापमान पहले ही लगभग 1°C तक बढ़ गया है। 2018 आइपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में दुनिया को वर्ष 2050 तक, सिर्फ 31 सालों में 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करने की जरूरत है। इसलिये, मौजूदा ऊर्जा उत्पादन परिदृश्य और इसके डिलीवरी मैकेनिज्म पर फिर से विचार करने की जरूरत
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