अगर नीतीश अभी भी नहीं चेत पाए तो उनका भी महाराष्ट्र जैसा हाल होगा:जीतनराम मांझी

अगर नीतीश अभी भी नहीं चेत पाए तो उनका भी महाराष्ट्र जैसा हाल होगा:जीतनराम मांझी

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच बिहार का राजनीतिक पारा भी गर्म है. महाराष्ट्र में रातोंरात बड़ा उलटफेर के बहाने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बीजेपी के समर्थन से सरकार चला रहे जनता दल यूनाइडेट के प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेताया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मांझी ने कहा कि अगर नीतीश अभी भी नहीं चेत पाए तो उनका भी महाराष्ट्र जैसा हाल होगा. जीतनराम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार को यह बात समझ लेनी चाहिए कि जदयू की सहयोगी पार्टी बीजेपी उन्हें किस तरह हटाना चाहती है? उन्होंने कहा कि नीतीश अब भी नहीं संभल पाए तो महाराष्ट्र जैसी हालत हो जाएंगे.


मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार के कई अहम मुद्दों पर बीजेपी के साथ मतभेद हैं. फिर भी वह बीजेपी के साथ हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीजेपी अपने मुद्दों से समझौता नहीं कर रही, उसे देखकर नीतीश को अभी भी संभल जाना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में एनसीपी नेताओं को डराकर सरकार बनाई. यह पार्टी हर जगह किसी भी कीमत पर सरकार बनाना चाहती है. महाराष्ट्र में भी बिहार में जैसी राजनीति हुई है.


गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने रातोंरात अपनी सरकार बना ली. बीते शनिवार सुबह सबको चौंकाते हुए भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस घटना के बाद विपक्षी शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की तरफ से भाजपा पर हमले किए जा रहे हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया. जहां विपक्षी दलों की याचिकाओं पर विचार करने के बाद कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुधवार शाम 5 बजे से पहले विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का अंतरिम निर्देश दिया.


इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को लोकतंत्र का मजाक करार दिया. केंद्र में सत्तारूढ़ राजग के घटक लोजपा के नेता चिराग पासवान ने कहा कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र का मजाक उड़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'आज जो परिस्थितियां पैदा हुई, इससे ज्यादा लोकतंत्र का मजाक नहीं हो सकता है. अगर मेरे हाथ में होता तो मैं ईमानदारी से पुन: जनादेश की मांग करता, पुन: जनता के बीच में जाता. ताकि जनता को भी पता चले कि आपने किसके साथ रहकर जनादेश मांगा था.'


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