शिवसेना ने सत्ता के खातिर 30 साल पुराना भाजपा से राजनैतिक रिस्ता तोड़ कर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए बढ़या कदम

शिवसेना ने सत्ता के खातिर 30 साल पुराना भाजपा से राजनैतिक रिस्ता तोड़ कर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए बढ़या कदम

महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाली शिवसेना ने सत्ता के खातिर 30 साल पुराना भाजपा से राजनैतिक रिस्ता तोड़ कर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए कदम बढ़ा दिए है । राष्ट्रवादी कांग्रेस व कांग्रेस की ध्रुर विरोधी शिवसेना सत्ता प्राप्त करने के लिए कांग्रेस-एनसीपी की यह मांग भी मान ली है कि उनका समर्थन लेने के लिए शिवसेना पहले एन डी ए सरकार से बाहर आए ।


इसी क्रम में शिवसेना के केन्द्र में एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत को दिल्ली भेज कर अपना स्तीफा सौंप दिया हैं। अब शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस मिल कर सरकार बनायेगी और भाजपा को इस बड़े राज्य से सत्ता से बाहर करेगी ? इस गठबंधन का भविष्य कुछ भी हो लेकिन शिवसेना ने बीजेपी के चाणक्यों को धूल चटा दी है।
महाराष्ट्र में यदि यह गठबंधन सफलतापूर्वक सरकार बना लेता है तो इसका असर अन्य बीजेपी शासित राज्यों में पड़ना स्वाभाविक है और वहाँ भी विरोधी ऐसा ही गठबंधन बनाकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर सकते हैं?
वैसे देखा जाए तो शिवसेना कांग्रेस के लिए अछूत नहीं है ।
इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी कांग्रेस-शिवसेना के बेहतर संबंध रहे हैं लेकिन इंदिरा गांधी की असमय मृत्यु के कारण कांग्रेस नेतृत्व ने दूरियाँ बना ली थी ।फलस्वरूप दोनों दलों में कटुता आ गई थी ।
लेकिन अब कांग्रेस के लिए भी बेहतर होगा कि पुरानी बातों को भूल कर यदि भाजपा को सत्ता से दूर रखना है तो बगैर किसी हिचक के शिवसेना का समर्थन करना चाहिए और अपनी सुविधानुसार सरकार के बाहर या सरकार में रह कर महाराष्ट्र में कांग्रेस को मजबूत करना चाहिए ।


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