मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षक वर्तमान समाज एवं जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझे और स्वीकारे। शिक्षक मात्र एक व्यक्ति नहीं वरन एक दृष्टि है, मार्गदर्शक है। धरती पर शिक्षक के रूप में जन्म प्राप्त होना मानव जीवन का बड़ा सौभाग्य है। मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है, इसमें कोई भी अयोग्य नहीं है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षकों को इसी ईश्वर प्रदत्त कार्य करके देश की भावी पीढ़ी को लोक कल्याण के लिए राष्ट्रवादी छात्रों का सृजन करना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह के मुख्य महोत्सव एवं पारितोषिक वितरण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सीएम बतौर अध्यक्ष संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कोई भी अक्षर ऐसा नहीं है, जो मन्त्र नहीं बन सकता। आवश्यकता है उसको एक सूत्र में पिरोने वाले विद्वानो की। कोई वनस्पति ऐसी नहीं है जिसमे औषधीय गुण नहीं, आवश्यकता है एक योग्य वैद्य की। उन्होंने कहा छात्रों एवं शिक्षकों से कहा कि परिश्रम का कोई मूल्य नहीं हो सकता।
संस्थापकों को श्रद्धाजंजलि के साथ राष्ट्रवाद से नई पीढ़ी को जोड़ने का अभियान भी सीएम ने कहा कि गोरक्षपीठ और उसके द्वारा संचालित संस्था महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् एक सप्ताह तक अकादमिक कार्यक्रम आयोजित करके गोरखपुर के पचास हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को भागीदार बनाने के साथ परिषद् के संस्थापको को श्रद्धा अर्पित करने और युवा पीढ़ी को राष्ट्रवाद की मुख्यधारा में जोड़ने का अद्भुत एवं बेमिसाल अभियान भी है।
पीठ के संतों ने मातृभूमि और हिन्दू समाज के लिए सब कुछ किया
सीएम ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ सन्त थे। सन्त जीवन का लक्ष्य मोक्ष होता है लेकिन वे राष्ट्र एवं समाज के लिए समर्पित हुए और सेवा-साधना से राजनीति तक के सभी क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति के लिए, मातृभूमि के लिए और हिन्दू समाज की एकता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् उनके शिक्षा क्षेत्र में किए गए अवदानों का स्पष्ट प्रमाण है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गोरक्षपीठ की अहर्निश साधना का रथ बढ़ता रहेगा। प्रदेश में शैक्षिक क्रान्ति और संस्कारयुक्त शिक्षा के पुनर्जागरण का शिक्षा परिषद् वटवृक्ष है। प्रतिवर्ष संस्थापक समारोह के माध्यम से गोरक्षपीठ शिक्षा के क्षेत्र में अपने कर्तव्य और संकल्प के प्रति वचनवद्ध होती है।
शैक्षणिक पूर्नजागरण के लिए परिषद की स्थापना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना 1932 में ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक पूर्नजागरण के लिए किया था। 1932 में देश पराधीन था, लेकिन इस देश के अंदर आजादी की लड़ाई में सक्रिय सहभागिता करने वाले महतं दिग्विजयनाथ महराज इस बाबत पूरी तरह आश्वस्त थे कि बहुत देर तक विदेशी हकूमतें हम पर शासन नहीं कर सकती। देश की स्वाधीनता के भाव को समझते हुए भारतीय परिवेश की शिक्षा की आवश्यकता उन्होंने महसूस करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। शिक्षा संस्थान के लिए उन्होंने नायक शौर्य के प्रतीक नायक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद को चुना। परिषद ने देश का पहला निजी क्षेत्र का महिला महाविद्यालय, तकनीकी क्षेत्र का देश का पहला संस्थान दिया। यही नहीं, जब गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए संसाधान की आवश्यकता थी, तब ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने अपने दो महाविद्यालय दान में दिए। परिषद गोरखपुर, महराजगंज, बलरामपुर एवं अन्य जनपदों में 4 दर्जन से अधिक शिक्षण- प्रशिक्षण एवं सेवा के विभिन्न प्रकल्पों को लेकर निरंतर कार्य कर रही है।
राज्यपाल का किया अभिनंदन
उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्यपाल, प्रथम नागरिक एवं अभिभावक के रूप में उनका मार्गदर्शन प्रदेश को मिल रहा है। राज्यपाल के रूप में प्रदेश को सेवाएं दे रही हैं। इसके पूर्व छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी राज्यपाल के रूप में उन्होंने सेवा दी है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री एवं लम्बे समय तक समर्पित जनप्रतिनिधि एवं मंत्री के रूप में उन्होंने लोगों की सेवा की। शिक्षिका एवं प्रधानाचार्य के रूप भी उनका काफी अनुभव है। इस कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी हम सब को गौरवांवित करती है। यह सब का सौभाग्य है कि उनका मार्गदर्शन सभी को मिल रहा है।
1932 में पूर्वी यूपी में शैक्षिक पुनर्जागरण के लिए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना महंत दिग्विजयनाथ ने की। जब भी कोई स्वाभिमानी समाज अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए तैयार होता है तो कोई ताकत उस पर शासन नहीं कर सकती। आज़ादी मिलना पर्याप्त नही है बल्कि आज़ादी के मायनो को जानकर समर्थ और शक्तिशाली भारत का निर्माण करने के लिए महंत दिग्विजय नाथ ने सोचा था। इसी सोच को लेकर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। देश के पहले महिलाओं के लिए निजी क्षेत्र का संस्थान महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने खोला था।
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