1 फरवरी को नहीं दी जाएगी निर्भया के दोषियों को फांसी, कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक

1 फरवरी को नहीं दी जाएगी निर्भया के दोषियों को फांसी, कोर्ट ने अगले आदेश तक लगाई रोक


दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार (31 जनवरी) को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार मुजरिमों की मृत्यु के वारंट की तामील अगले आदेश तक स्थगित कर दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया। ये चारों एक फरवरी को फांसी पर अमल पर स्थगन की मांग कर रहे थे।


इस आदेश के साथ ही यह तय हो गया कि निर्भया के गुनहगारों को 1 फरवरी को फांसी नहीं होगी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।  तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने के तीन दोषियों के अनुरोध वाली याचिका की सुनवाई को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी थी।



दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि ये दोषी आतंकवादी नहीं हैं। वकील ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई है, वहां दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर लिया हो। 


वहीं तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने दिल्ली की अदालत को बताया कि केवल एक दोषी की ही दया याचिका लंबित है, अन्य को फांसी दी जा सकती है। वहीं दोषियों के वकील ने दिल्ली की अदालत को बताया कि जब एक दोषी की याचिका लंबित है तो नियमों के अनुसार अन्यों को भी फांसी नहीं दी सकती।


निचली अदालत ने मामले में सभी चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन (25), विनय (26) तथा अक्षय (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए दूसरी बार 17 जनवरी को ब्लैक वारंट जारी किया था। इससे पहले अदालत ने सात जनवरी को दिए एक आदेश में 22 जनवरी को फांसी दिए जाने का वारंट जारी किया था।


अभी केवल मुकेश ने दया याचिका समेत सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय ने 29 जनवरी को खारिज कर दिया था। शीर्ष न्यायालय ने 30 जनवरी को दोषी अक्षय की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी।


अन्य दोषी विनय ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जो अभी लंबित है। सिंह ने एक फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए निचली अदालत का भी रुख किया। उन्होंने कहा कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है।


गौरतलब है कि 23 वर्षीय परा चिकित्सा की छात्रा से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था। करीब 15 दिन बाद उसने सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।


नाबालिग मामले में पवन की पुनर्विचार याचिका खारिज
वहीं दूसरी ओर, देश को दहला देने वाले निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले के गुनाहगार पवन का फांसी से बचने का एक और पैंतरा आज उस वक्त बेकार गया, जब उच्चतम न्यायालय ने अपराध के समय नाबालिग होने के उसके दावे से जुड़ी उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की विशेष खंडपीठ ने पवन की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है।


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