जाको राखे साइयां मार सके न कोय...। यह कहावत गुरुवार को चरितार्थ हुई है गोरखपुर के झंगहा में। हुआ यूं कि उफनाई गोर्रा नदी में बुधवार की सुबह एक महिला डूब गई। गोड़िया घाट पर हादसे के बाद दिनभर चली तलाश के बाद सभी नाउम्मीद हो घर लौट आए। तकरीबन 22 घंटे बाद महिला देवरिया जिले के रुद्रपुर में पिड़िया घाट पर जिंदा मिली। महिला ने बताया कि उसे तैरना नहीं आता। ऐसे में खुद को बहाव के हवाले कर दिया था।
झंगहा क्षेत्र के राजधानी गांव निवासी राजबली की पत्नी नगीना देवी बुधवार की सुबह शौच के लिए गई थीं। इस दौरान गोड़िया घाट पर पैर फिसलने से वह नदी में गिर गईं। नगीना देवी ने बताया कि पैर फिसला तो वह चिल्लाई भी, लेकिन आसपास कोई था नहीं, ऐसे में उसे कोई मदद नहीं मिल सकी। शुरू में जब तक शरीर में ताकत थी तब तक हाथ-पैर तो चलाया लेकिन उफनाई गोर्रा की तेज लहरों के आगे वह जल्द पस्त हो गई। कई बार मुंह में पानी चला गया तो लगा कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन पानी जाने के कुछ ही देर बाद उल्टी हो जाने से उसे राहत मिल जाती। थक-हारकर मैंने खुद को बहाव के हवाले कर दिया।
इस दौरान ज्यादातर समय वह बेसुध रही। गुरुवार तड़के वह करीब 45 किलोमीटर दूर पीड़िया घाट पर वह बेसुध पड़ी थींं। उसे पचलड़ी की रहने वाली अतरवासी देवी ने देखा और पहचान लिया। अतरवासी देवी का मायका राजधानी गांव में है। अतरवासी देवी ने इसकी जानकारी अपने गांव के प्रधान देवी प्रसाद को दी। इसके बाद ग्राम प्रधान ने महिला को उसके घर पहुंचाया तो पति राजबली की आंखें छलक आईं।
देवदूत बनकर पहुंची अतरवासी
गोर्रा नदी में बह रही नगीना देवी के लिए अतरवासी देवी देवदूत बनकर पहुंचीं। अतरवासी देवी ने जब उसे देखा तो वह नदी के किनारे पानी में ही बेसुध पड़ी थी। चूंकि उसका मायका महिला के गांव में ही है ऐसे में उसने पहचान लिया। इसके बाद उसी ने उसे पानी से किनारे किया और प्रधान को सूचना दी।
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