पुर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व०अटल विहारी बाजपेई जी के जयन्ती के उपलक्ष्य में आज ब्लाक के प्रांगण में कृषि विभाग द्वारा कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

पुर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व०अटल विहारी बाजपेई जी के जयन्ती के उपलक्ष्य में आज ब्लाक के प्रांगण में कृषि विभाग द्वारा कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन



निघासन खीरी:पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व०अटल विहारी बाजपेई जी के जयन्ती के उपलक्ष्य में आज ब्लाक के प्रांगण में कृषि विभाग द्वारा कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि भाजपा सांसद अजय मिश्र टेनी के द्वारा फीता काटकर किया गया।इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए।और खीरी सांसद का जोरदार स्वागत किया गयायह आयोजन खंडविकास अधिकारी आलोक वर्मा के आयोजन में किया गया।सभा को संबोधित करते हुए बिस्तर से अटल जी के जीवन परिचय देते हुए कहा कि अटल जी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थे।प्रारंभिक जीवन में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अत: काव्य कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। 

राजनीतिक जीवन में वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जन संघ के नाम से जाना जाता था।

वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।

1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने : कवि हृदय वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे।

 इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।

और आजीवन अविवाहित रहे अटलजी को अटलजी को 2015 में सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।और पंडित मदनमोहन मालवीय जी के भी जीवनी केक्षबारे में बताये क्योंकि आज ही के दिन मदन मोहन मालवीय की जयन्ती थी।कार्यक्रम का संबोधन सांसद प्रतिनिधि अरविंद सिंह संजय व भाजपा नेता कुंवर राजराजेश्वर सिंह ने भी किया।संचालन प्रज्ञा नन्द श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान कृषि अधिकारी जयपाल समेत हर विभाग के जिले के भी अधिकारी व क्रमचारी समेत सैकडों भाजपा कार्यकर्ता व लोग मौजूद रहे।

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