तो...... इस बरसात भी खडडा क्षेत्र की गंडक पार बसी पच्चीस हजार आबादी बाढ की विभिषिका झेलेगी

तो...... इस बरसात भी खडडा क्षेत्र की गंडक पार बसी पच्चीस हजार आबादी बाढ की विभिषिका झेलेगी


मरचहवा बसंतपुर मार्ग पर बरसात में बना चचरी पुल । फाइल फोटो 

कुशीनगर के खडडा से बाबा की रिपोर्ट,... 

एक माह बाद जून से बरसात सीजन शुरू होते ही नारायणी का जल प्रलय चालू हो जाएगा । बाढ के पुर्व प्रशासन द्वारा कोई इन्तजाम नहीं किया जा सका है। हर बर्ष की तरह इस वर्ष भी

( आग लगने पर कुंआ खोदने) वाली कहावत चरितार्थ होती दिखेगी।।


कुशीनगर जनपद के खडडा विकास खंड के मरचहवा, बसंतपुर, शिवपुर ,हरिहरपुर ,नरायनपुर गाँव सहित भैसहा गाँव का मौजा वालगोविन्द छपरा गंडक नदी के बायी तरफ आबाद हैं। देश को आजादी मिले लगभग 70वर्ष हो गये परंतु यहाँ तक पहुचने के लिए कोई सीधा सड़क नहीं है। अस्थायी पीपा पुल से चार माह आशिक रूप से लोग आते जाते हैं अन्यथा विहार के रास्ते जंगल पार करके खडडा तक पहुँचते हैं । असली दिक्कत बरसात के समय होती है जब नारायणी की उफनाती धारा के कारण यह क्षेत्र सड़क मार्ग से पुरी तरह कट जाता है। एक गाँव से दूसरे गाँव तथा एक मात्र उंचे स्थान सोहगीबरवा जाने के लिए लोग जीवन दांव पर लगाकर छोटी नाव से सफर करते हैं। कभी कभी नाव पलटने से लोगो की जान चली जाती है। बाढ का पानी गाँव में तबाही मचाता है तो लोग बच्चो व अपने छप्पर व मचान पर शरण लेने को मजबूर रहते हैं। पशुओं के चारे की संकट व पानी में खड़े रहने से पैर सड़ने लगते हैं। बाढ के साथ मगरमच्छ ,सर्प व अन्य जहरीले जीव जन्तु घरो में घुस जाते हैं ,चार से लेकर दस दिन तक घरो में पानी जमा रहता है। पानी कम होने पर भी दुश्वारी कम नहीं होती क्योंकि बाढ से सड़क बह जाती है व जगह जगह गहरे कुंड हो जाता है, प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने पर लोग आपस में सहयोग करके बांस की चचरी पुल बनाकर आते जाते हैं।बाढ के समय पच्चीस हजार जनता के सामने भोजन ,रोजी ,रोजगार,इलाज का संकट उत्पन्न हो जाता है।हर साल लोग उम्मीद जताते हैं की इस वर्ष स्थाइ समाधान हो जाएगा परंतु आजतक उम्मीद पूरी नहीं हो पायी । बाढ कहर ढाने लगती है तो सरकारी अमला समाधान ढूढने की कोशिश करता है। इसे देख आग लगने पर कुंआ खोदने वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है। 


           गाँव में चलती है नाव । फाइल फोटो

बीएडीपी योजना से क्षेत्र में होगा सही विकास 

विधायक जटाशंकर त्रिपाठी की पहल से इस क्षेत्र के काया कल्प की उम्मीद बढ गयी है।

विधायक ने बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (बी ए डी पी) के तहत इस क्षेत्र को शामिल कराने का प्रयास शुरू किया है। इसके लिए सभी कागजी कोरम पूरा कर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को भेज दिया गया है। अगर सबकुछ सही रहा तो इस योजना से मिलने वाले धन से इस क्षेत्र में सही मायने में विकास की किरण पहुँच पाएगी । दो माह पहले डीएम एस राजलिंगम ने भी इस क्षेत्र के बाढ से बचाव हेतु स्थाइ समाधान का खांका खींचा था।


___________________________________

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ