गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर सरकार का रुख साफ किया। शाह ने कहा कि एनपीआर का कोई भी डाटा एनआरसी में इस्तेमाल नहीं होगा। दोनों प्रक्रिया अलग-अलग है। ये प्रक्रिया हमने शुरू नहीं की है। यह यूपीए सरकार के वक्त का है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग एनपीआर पर डर फैला रहे हैं, लोगों को गलत सूचना दी जा रही है। एनसीआर के मुद्दे पर शाह ने कहा कि अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। पीएम मोदी सही कह रहे थे। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। न कैबिनेट में और न ही संसद में।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की जनगणना 2021 के संचालन और एनपीआर को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस पर शाह ने कहा कि हर 10 साल में जनगणना होती थी और यूपी सरकार द्वारा एनपीआर शुरू किया गया था और सरकार इसे आगे ले जा रही है क्योंकि यह एक अच्छा अभ्यास था।
शाह ने एएनआई को बताया, एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है, एनआरसी नागरिकों का रजिस्टर है। दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है और दोनों के बीच अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। उन्होंने कहा कि देश में रहने वाले लोगों के नाम एनपीआर में हैं, जिनके आधार पर कार्यक्रम बनाए जाते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि पश्चिम बंगाल और केरल ने एनपीआर पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस पर शाह ने कहा, इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसका उद्देश्य नागरिकों को लाभान्वित करना और कल्याणकारी योजनाओं में सुधार करना है। मैं बात करूंगा और उनसे अपील करूंगा कि इस पर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए। मैं विनम्रतापूर्वक दोनों मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि ऐसा कोई कदम न उठाएं और कृप्या आप फैसलों की समीक्षा करें, गरीबों को सिर्फ अपनी राजनीति के लिए विकास कार्यक्रमों से बाहर न रखें।
नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर असदुद्दीन ओवैसी की आलोचना पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, अगर हम कहें कि सूर्य पूर्व से उगता है तो ओवैसी जी कहते हैं कि यह पश्चिम से उगता है, वह हमेशा हमारे रुख का विरोध करते हैं। फिर भी मैं उन्हें फिर से विश्वास दिलाता हूं कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर सरकार से संवाद का अभाव होने के सवाल पर शाह ने कहा, कुछ तो कमी रही होगी, मुझे स्वीकार करने में दिक्कत नहीं है, मगर संसद का मेरा भाषण देख लीजिए, उसमें मैंने सब स्पष्ट किया है कि इससे किसी भी अल्पसंख्यकों की नागरिकता जाने का सवाल नहीं है।
अमित शाह ने कहा, यह संभव है कि एनपीआर में कुछ नाम छूट गए हों, फिर भी उनकी नागरिकता रद्द नहीं की जाएगी क्योंकि यह एनआरसी की प्रक्रिया नहीं है। एनआरसी एक अलग प्रक्रिया है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनपीआर की वजह से कोई भी नागरिकता नहीं खोएगा।
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