विजय कुमार शर्मा
दो समुदाय की भिड़ंत में बिगड़ती माहौल देख पत्रकार ने किया पुलिस प्रशासन को सूचना की बात को लेकर किया 107 केश दर्ज मामला बगहा नगर थाना क्षेत्र के वार्ड नं 35 का है जहां पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अहान पर 5 अप्रैल दिन रविवार को 9 बजे 9 मिनट कोरोना वायरस जैशी बैश्चिक महामारी को देखते हुए पूरे भारत मे घर की लाइट बंद कर दीपक ,मोमबत्ती ,टार्च ,मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाने का सभी देश वासियों से अपील किया गया था जिसको लेकर दो पड़ोसी अलग अलग समुदाय के लोग आपस मे भीड़ गए जिसमे एक पझ का कहना था कि दूसरा पझ ना लाइट बंद किया था ना ही दीपक जलाया था जो एक निन्दनीय बात है कि हम सभी एक दूसरे की सुरक्षा हेतु यह पहल किया गया था जो करना चाहिए था इसी बात से नाराज होकर दूसरी समुदाय के लोगो द्वारा इसका विरोध प्रकट किया गया जिससे माहौल तनाव पूर्ण बन गई माहौल इतना ना उलझ गया कि उस वक्त में दोनों समुदाय से लगभग 5 सौ की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी एवं सोसालडिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ने लगी जहा मामले की जानकारी सुनकर संवाददाता ने पहुच मामले का जायजा लिया एवं अपने मोबाइल दूरभाष संख्या से नजदीकी थाना बगहा पुलिस एवं बरिय पदाधिकारी महोदय को सूचना दिया गया जहा कुछ ही देर में प्रशासन ने मौके पर पहुची जिसे देख सभी लोग इधर उधर भाग निकले एवं आसपास के लोग अपने घरों में डर से दुबक गए वरना अगर पुलिस नही आती तो दोनों पझ से काफी झड़प के साथ कुछ भी हो सकता था जिसकी जांच पड़ताल करते हुए बगहा नगर थाना पुलिस ने दोनों समुदाय के लोग से बात चीत की मामला की हकीकत जानी एवं दोनों को समझा बुझाकर मामला पर नियंत्रण पाते हुए इस्तिथि कायम हुई।
अब रही सवाल पत्रकार का क्या कसूर
प्रशन की बात करे तो सुशासन बाबू के राज में पुलिस की मनमानी या वर्दी का धौश जो बैगर जाच पड़ताल किए बिकलांग ब्यक्ति एवं समाज का आईना कहे जाने वाला समानित पत्रकार कहे जाने वाले पर ही अपनी जज्बाती का मुकदमा ठोक दिया ।
क्या वह अपराध था जिसने यह सूचना दिया
माननीय प्रधानमंत्री एवं पुलिस निदेशालय गुप्तेस्वर पाण्डेय के आदेशानुसार लॉक डाउन में भी पत्रकार अपनी जान की बाजी लगा कर बिन पैसे तनखाह का दिन रात मेहनत कर न्यूज़ बनाता और लाता है एवं समाज के लोगो को सच का सच दर्शाता है जो कभी भीड़ का हिस्सा नही बन सकता या कभी भड़काऊ बयानबाजी नही कर सकता ।आज मैं सर्मिन्दा हु की हमेशा पुलिस और प्रेस के अच्छा संबंध रहा है लेकिन अगर पुलिस को हमारे में कोई कमी आई हो तो हमे दंडित करे वरना उस पुलिस पदाधिकारी को निलबिंत या बर्खास्त करे जो बैगर जाने बुझे कुछ भी लिख कर हैरान करने व कोर्ट का चक्कर लगवाने का काम किया है
खुलाशा अब रही ईमानदार वर्दी वाले बाबू की करतूत जिसने चंद पैसे पर ईमान को बेचा
दो तीन दिन बीत जाने के पश्चात साहब ने पैसे की डिमांड कर कोई भी केश दर्ज नही होने की बात कही एवं डॉक्टर भरतचंद्र राय से आकर दिन के दोपहर में उनकी क्लीनिक पर पैसे तो ले लिया लेकिन जुबान का सैरियात नही दिया और डॉक्टर के दूरभाष पर समानित ब्यक्ति होने की बात कहते हुए 107 को फाड़ फेकने की ढोंग रच डाली मामला तब जानकारी हुवा जब कोर्ट से नोटिश जारी कर घर पहुचा *ध्यानाकर्षित*
जब ऐशे पुलिस पदाधिकारी इस जमी पर रहेंगे तो चमन क्या गगन भी बेच देंगे ?।
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