आहत हूँ अनदेखी से ...बदलाव चाहता हूँ ताकि भारत का भविष्य सुखद और सुंदर बन सके

आहत हूँ अनदेखी से ...बदलाव चाहता हूँ ताकि भारत का भविष्य सुखद और सुंदर बन सके


अजय शर्मा 


पत्रकारिता जेसे पवित्र मिशन के माध्यम से अपनी व अपने परिवार की खुशियाँ कुर्बान करके हर धर्म, समाज, पार्टी, संगठन और देश के प्रति समर्पित रहने बाले सभी सम्मानित एवं प्रिय पत्रकारों का ध्यान भविष्य के परिणामों को लेकर अपनी ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ | ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ रूपी मीडिया समाज की दिन प्रतिदिन गिरती शाख में समय से सुधार किया जा सके | क्योंकि में आहत हूँ आज की विषम परिस्थितियों के दौर से गुजर रही पत्रकारिता से, में आहत हूँ सुबिधाओं के अभाव में तमाम समस्याओं से जूझते पत्रकारों और उनके परिवारों के हालातों से, में आहत हूँ घटना दुर्घटना और बीमारियों से मरने बाले असहाय पत्रकारों की मौतों से, में आहत हूँ देश में पत्रकारों को दुश्मनों की नजर से देखेने बाले समाज की घटिया सोच से, में आहत हूँ निश्वार्थ, निष्पक्ष, त्यागपूर्ण, जनहितेषी पत्रकारिता करने बाले पत्रकारों के उजड़ते सम्मान से, में आहत हूँ। 


सरकार के सोतेलेपन से, में आहत हूँ उन पत्रकार और अनगिनत पत्रकार संगठनों से जो भूत के बाद वर्तमान और भविष्य के पत्रकारिता परिणाम के प्रति गम्भीर नहीं | इसलिए में बदलाव चाहता हूँ पत्रकारिता के उज्ज्वल भविष्य के लिये, में बदलाव चाहता हूँ समस्याओं से जूझते पत्रकारों और उनके परिवारों के हालातों में, में बदलाव चाहता हूँ घटना दुर्घटना और बीमारियों से मरने बाले गरीब असहाय पत्रकारों के मामलों में, में बदलाव चाहता हूँ पत्रकारों को दुश्मन की नजर से देखेने बाले समाज की घटिया सोच में, में बदलाव चाहता हूँ पत्रकार और पत्रकार संगठनों के स्वार्थपूर्ण कार्य करने के तरीकों में और में बदलाव चाहता हूँ सरकार के सोतेलेपन व्यवहार में | क्योंकि सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग से ससम्मान चली आ रही महाऋषी नारदमुनि की पत्रकारिता का वर्तमान के साथ भविष्य भी अंधकारमय सा नजर आ रहा हैं |


स्थितियाँ क्यों, कहां और केसे बिगड़ रही हैं ? इस पर कोई गम्भीर नहीं | स्रष्टि की सुरक्षा और सुखदता के लिये युगों युगों से चली आ रही इस पत्रकारिता पर ऐसे संकट के बादल देश की आजादी से पूर्व अंग्रेजी हुकूमत में भी नहीं मडराये जिस कदर आज मडरा रहे हैं | इसलिये आज के इस दौर की पत्रकारिता की परिस्थितियों को देखते हुये हर पत्रकार को अत्यंत गम्भीर होने की जरूरत हैं | समय का अभाव होता चला जा रहा हैं अगर अब भी नहीं चेते तो स्थितियाँ बेहद खराब हो सकती हैं | क्योंकि पत्रकारिता मिशिन, मिशिन न रह कर आज के आधुनिक समय में एक बड़े व्यवसाय में प्रवर्तित हो गया है | जिसका कारण कोई और नहीं देश की सरकारें, जनता और खुद पत्रकार हैं | क्योंकि देश में जितनी सरकारें बनी किसी सरकार ने पत्रकारों की जरूरतों को ही नहीं समझा, यही कारण रहा कि पत्रकारिता में अनेकों विसंगतिया पनपती चली गयी और मीडिया के भरोसे की मीनार कमजोर होने लगी | जरूरतों की पूर्ती के लिए कलम और काबलियत दोनों बिकने लगी, समाज मतलबी खबरों को पसंद करने तक सिमट गया | हालात कुछ ऐसे बन गये कि जाति, धर्म, पार्टी, पक्ष, विपक्ष और अपनी पराई जेसे स्वार्थी मुद्दों की ओर खबरों का रुख मुड़ गया | जिससे इंसान व इंसानियत खत्म होने लगी और हर तरफ नफरत की दीवारें बड़ने लगी | जिस पर किसी ने ध्यान देना भी जरूरी नहीं समझा न सरकार ने न जनता ने और न लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ रूपी मीडिया ने | सबसे अधिक सोचनीय विषय तो यह रहा कि हर क्षेत्र और विषय का ज्ञान रख कर परहित के कार्य करने बाला देश का पहला बुद्धजीवी पत्रकार अपनी जरूरतों के आगे नतमस्तक होने को मजबूर हो गया | नतीजा सरकार और समाज के सोतेलेपन के कारण तमाम जोखिम और जरूरतों से जूझते हुये उसकी बुद्धी का विकास थम सा गया और आज मंदबुद्धिता के कारण वर्तमान परिस्थितियों को बिगाड़ने के बाद भविष्य को भी काला करने पर उतारू हैं | इसकी पहली बजह हैं आज की स्वार्थपूर्ण पत्रकारिता, जिसने पत्रकार के अंदर निश्वार्थ काम करने की कला को क्षीण कर दिया हैं | जबकि दूसरी बजह सरकार का सौतेलापन और तीसरी बजह हैं जनता का मतलबी खबरों तक सिमट जाना | अब अगर इन तीनों महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला जाये तो मीडिया को जरूरत हैं अपने खोते जा रहे भरोसे को मजबूत बनाने की | लेकिन वो तब सम्भव होगा जब सरकार, समाज और मीडिया तीनों का आपसी तालमेल रहे | क्योंकि देश और देश के करोड़ों लोगों का हित समझने बाले पत्रकार समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिये उन जरूरतों की पूर्ती होना अति जरूरी हैं जिनसे देश का पत्रकार समाज आज तक अछूता रहा हैं | तो सोचो और विचार करके एक संकल्प के साथ अपने अंदर की बुराइयों को दूर कर पत्रकारिता के हक़ और अधिकारों को प्राप्त करने के लिये आगे बड़ो ताकि पवित्र पारदर्शी पत्रकारिता के माध्यम से सुखद समाज और सुंदर भारत बनाने में पत्रकार समाज सफल हो सके


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