जिले में स्थापित किया बस्तर संभाग की एकमात्र पेपर बैग ईकाई
जिले में बेशक महिला उद्यमियों की संख्या गिनती में है परन्तु वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत का कार्य जरूर कर रहीं है। बीते कुछ वर्षो में महिलाएं स्वरोजगार को लेकर जागरूक हुई हैं, चाहे वह स्व-सहायता समूह के माध्यम से केंटीन व्यवसाय हो अथवा हथकरघा व्यवसाय या फिर किराना अथवा सौंदर्य प्रसाधन के प्रतिष्ठान हो। ये महिलाएं बदलते समय की जरूरत और नजाकत को समझकर महिला उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने की चाह में धीरे-धीरे ही सहीं अपने कदम जमा रहीं है। इसके अलावा वर्तमान कालखण्ड की आवश्यकता एवं प्रदेश शासन द्वारा नव उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन स्वरूप छोटे मझौले उद्योगों हेतु सरल बनाये गये नीति-नियम के बलबूते पर भी महिला उद्यमियों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। इस क्रम में जिला मुख्यालय स्थित बाजारपारा निवासी महिला उद्यमी श्रीमती रूपाली रावल दीवान द्वारा जिले की प्रथम व बस्तर संभाग की एकमात्र पेपर बैग निर्माण की ईकाई स्थापित की गई है। जिसमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के तहत् पंजीकृत इस ईकाई में कच्चे माल से क्राप्ट पेपर, शाॅपिंग बैग का निर्माण किया जा रहा है। इस संबंध में एमकाॅम शिक्षित महिला उद्यमी रूपाली रावल बताती हैं कि यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक पालिथीन, प्लास्टिक के बेतहाशा उपयोग ने मानव सहित सभी जीव-जन्तु के स्वास्थ्य को गंभीर संकट में डाल दिया है। इसके उपयोग के फलस्वरूप नित् नई-नई बीमारियां प्रकाश में आ रही है। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि हानिकारक पालिथीन, प्लास्टिक के बैगो को हमेशा के लिए तिलांजलि दे दी जाए। यद्यपि स्थानीय निकाय व प्रशासन द्वारा इस मुद्दे को लेकर समय-समय पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है, फिर भी प्रतिबंध के बावजूद तात्कालिक आंशिक लाभ के लिए उत्पादनकर्ता, थोक व चिल्हर विक्रेताओं द्वारा इसका धड़ल्ले से उपयोग अभी भी किया जा रहा है। पहले यह धारणा थी कि पालिथीन का कोई विकल्प नहीं है, परन्तु कागज के बने मजबूत थैले काफी हद तक अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं।
इस उद्योग को शुरूवाती चरण को प्रारंभ करने के संबंध में उन्होंने बताया कि विवाह के बाद वे भी अन्य महिलाओं की तरह घर गृहस्थी ही संभाल रहीं थी, परन्तु स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर होने के जुनून ने उन्हें इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने पीएमईजीपी योजन्तार्गत एवं जिला उद्योग कार्यालय के मार्गदर्शन में नारायणपुर से ईडीपी प्रशिक्षण प्राप्त किया। तदपश्चात् बैंक आॅफ बड़ौदा एवं जिला उद्योग कार्यालय से अनुदान प्राप्त कर माह 02 अगस्त 2020 में पेपर बैग ईकाई का शुभारम्भ कर दिया। चूंकि यह बस्तर संभाग की एकमात्र पेपर बैग ईकाई है। अतः इसके मार्केटिंग के लिए संभाग के अन्य जिलों से भी माल सप्लाई हेतु आॅर्डर आते हैं। अभी उक्त ईकाई में 09 कुशल मशीन आॅपरेटर एवं 02 अकुशल श्रमिक सहित कुल 11 लोग कार्यरत् हैं। श्रीमती रावल ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे प्रदेशों में प्लास्टिक से बने थैले पूर्णतः प्रतिबंधित है और वहां कागज से बने थैलें पुरी तरह प्रचलन में है। अतः शासन को भी आत्मनिर्भर भारत अभियान एवं वोकल फाॅर लोकल के तहत् कागज के बने थैलों का भरपुर प्रचार-प्रसार के अलावा प्रबल इच्छाशक्ति दिखाते हुए प्रतिबंधित एवं हानिकारक प्लास्टिक के थैलों पर रोक लगाने की कार्यवाही की जानी चाहिए। इससे न केवल नवोन्मेषी व नवाचारी ईकाई को बल मिलेगा अपितु इस उद्योग के माध्यम से नये रोजगार का सृजन भी होगा। उनका मानना है कि भविष्य में वे इस क्षेत्र में महिला स्व-सहायता समूह को जोड़कर कार्यालयीन उपयोगी सामाग्रियां जैसे फाईल कवर, गार्ड फाईल, फोल्ड फाईल, लिफाफे इत्यादि का निर्माण करने संबंधी प्रशिक्षण भी देंगी, ताकि उनके स्वालम्बन का मार्ग प्रशस्त होगा। वहीं दूसरी ओर हानिकारक पालिथीन को त्यागने से पर्यावरण और पशुओं का जीवन भी सुरक्षित रहेगा।
यू ंतो हर व्यक्ति के लिए सफल पेशे के संबंध में अलग परिभाषा होती है परन्तु एक ऐसा पेशा जिसमें स्वयं के साथ अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य हो साथ ही जिसमें सामुदायिक जागरूकता की भावना निहित हो तो यह और भी सार्थक हो जाता है। इसे देखते हुए रूपाली रावल ने अपने पेपर बैग निर्माण ईकाई के माध्यम से न केवल औरों को रोजगार से जोड़ा है बल्कि सामाजिक सोद्येश्यता के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता पर रखा है और वास्तव में एक सफल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए इन गुणों का होना बहुत जरूरी भी है।
0 टिप्पणियाँ