जिम्मेदारों द्वारा गांवों में विकास के तो बड़े-बड़े किये जा रहे दावे, लेकिन आज भी कई जिंदगियां झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन यापन करने को है मजबूर

जिम्मेदारों द्वारा गांवों में विकास के तो बड़े-बड़े किये जा रहे दावे, लेकिन आज भी कई जिंदगियां झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन यापन करने को है मजबूर

जमुनहा-श्रावस्ती। जिम्मेदारों द्वारा गांवों में विकास के तो बड़े-बड़े दावे किया जा रहे हैं। लेकिन आज भी कई जिंदगियां झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।जो इनके दावों के पोल खोलने के लिए काफी है। हर बार चुनाव में अच्छा करने का वादा कर गरीबो का वोट लेने वाले जनप्रतिनिधि जीतकर गरीब परिवारों के घर की तरफ देखना भी उचित नही समझते। जिसका नतीजा यह है कि कटान पीड़ित सहित तमाम गरीब आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। विकास खण्ड जमुनहा के ग्राम पंचायत बेलरी के दर्जनों ग्रामीणों ने राप्ती नदी के कटान के चलते अपने आशियानों को उजाड़ कर बांध के उस पार सागर गाँव मे झोपड़ी बनाकर बच्चो के संग गुजर बसर कर रहे है। जिम्मेदार व प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा के चलते वृद्धा पेंशन, आवास व शौचालय के अभाव में ग्रामीण अब स्वंय को ठगा महसूस कर रहे है।


ग्रामीण तीरथ राम पुत्र गुलाम, राजेश पुत्र होली, दरबारी लाल पुत्र राम मिलन, सुमन देवी पत्नी रामचन्द्र, फूलमती पत्नी भगगन, अजय पुत्र मोल्हे ने बताया कि कई बार ग्राम प्रधान व सचिव से निवेदन कर आवास और शौचालय की मांग की गई। परन्तु अबतक आश्वासन के सिवा कुछ नही मिला। जिसके चलते बरसात के समय फूस के छप्पर से पानी टपकने तथा जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में विषैले जीव जंतुओं का भी खतरा बना रहता है। अब सवाल यह उठता है कि जब राज्य व केंद्र सरकार नित्य नई-नई योजनाओं को लागू कर गरीबो का उत्थान कर रही है। तो फिर आजादी के इतने वर्षों बाद भी यह दर्जनों परिवार मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यो है?


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