फसल अवशेष प्रबन्धन योजना के तहत डीएम की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम/ किसान गोष्ठी का हुआ आयोजन

फसल अवशेष प्रबन्धन योजना के तहत डीएम की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम/ किसान गोष्ठी का हुआ आयोजन


लखीमपुर खीरी:शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह अध्यक्षता में किसान फसल अवशेष प्रबन्धन योजनान्तर्गज जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ डीएम ने फीता काटकर किया।


 जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने किसानों से अनुरोध किया कि किसान भाई फसलों के अवशेषों को अपने खेत में न जलाये, इससे वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण एवं आने वाली पीढी पर बुरा असर पड़ेता है तथा पर्यावरण की क्षति होती है और मृदा की उर्वरा शक्ति कम होती है। कृषि विभाग द्वारा फार्म मशीनरी बैंक के माध्यम से कृषि यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत तक का अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। यंत्रों के प्रयोग से फसल अवशेषों को मृदा में मिलाकर उचित प्रबन्धन करते हुए कृषक फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ा सकते है। इसके साथ ही रू0 5.00 लाख तक की फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना गन्ना समिति, साधन सहकारी समिति एवं ग्राम पंचायतों पर की गयी है, जिसके यंत्र किसानों को किराये पर उपलब्ध कराये जा रहे है। उपस्थित किसानों से अनुरोध किया गया कि गोष्ठी में प्राप्त जानकारियों को अपने ग्राम पंचायतों में प्रचार प्रसार कर अन्य किसानों को जागरूक करें, जिससे कि सभी किसानों को लाभ प्राप्त हो सके।


उप कृषि निदेशफ़क डा0 योगेश प्रताप सिंह ने कृषकों के मध्य फसल अवशेष जलाने से मिट्टी, जलवायु एवं मानव स्वस्थ्य को होने वाली हानि के विषय में व्यापक रूप से जागरूक किया गया। किसानों के मध्य इस बात का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाय कि फसलों के अवशेष को जलाना दण्डनीय है ऐसा करने पर किसानों को अर्थदण्ड से दण्डित किया जा सकता है। किसान पराली जलाता है तो उसके विरूद्ध आई0पी0सी0 तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण के प्राविधानों के विरूद्ध जुर्माना लगाया जाय। घटना की पुनरावृत्ति होने पर एफ0आई0आर0 दर्ज करायी जाय। फसलों के अवशेष को जलाने वाले दोषी व्यक्तियों की पुष्टि होने पर 2 एकड़ क्षेत्रफल पर रू0 2500/-़, 2 से 5 एकड़ क्षेत्रफल पर रू0 5000/- तथा 5 एकड़ से अधिक पर रू0 15000/- अर्थदण्ड तथा घटना की पुनरावृत्ति से सम्बन्धित मामलों में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 26 एवं एक्ट सं0-14/1981 की धारा 19 के अन्तर्गत अभियोजन की कार्यवाही कर नियमानुसार कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित कराया जायेगा। किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसलों के अपशिष्ट न जलाकर उसका वैज्ञानिक ढ़ंग से उपयोग कर मिट्टी की उर्वराशक्ति में वृद्धि करते हुए अपनी उत्पादकता बढ़ाये, जिससे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। साथ ही प्रमोशन आॅफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फाॅर इन-सीटू मैनेजमेन्ट आॅफ क्राप रेजीड्यू योजनान्तर्गत फसल अवशेष प्रबन्धन के अन्तर्गत रू0 5.00 लाख तक की फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना करायी गयी है, जिसमें फसल अवशेष प्रबन्ध्न के यंत्र किसानों को किराये हेतु उपलब्ध है। 17 साधन सहकारी समिति, 13 गन्ना समिति एवं 21 ग्राम पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गयी है।


मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 एंव 26 के अन्तर्गत फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है, पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड के प्राविधान निम्नवत है-


1. 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रू0 2500/- प्रति घटना


2. 02 से 05 एकड़ के लिये रू0 5000/-प्रति घटना


3. 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रू0 15000/- प्रति घटना


4. अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा।


डा0 एम0के0 विश्वकर्ता, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा कृषकों को जैविक विधि से फसल अवशेष सड़ाने के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। किसानों को अवगत कराया गया कि नैडप कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट तथा डी-कम्पोजर का प्रयोग करके फसल अवशेष को बहुत कम अवधि में सड़ा करके खाद का निर्माण किया जा सका है, जिसके प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य तथा मृदा में जीवाणुओं की मात्रा को सक्रिय किया जा सकता है। जिसके द्वारा मृदा से फसलों को आसानी से पोषक तत्व प्राप्त हो सकते है। इसके साथ ही किसानों को यह भी अवगत कराया गया कि सभी किसान भाई छिड़कवा विधि से बुवाई न करके लाइन से लाइन की बुवाई करें, जिससे कम लागत में अधिक उपज प्राप्त हो।


डा0 पी0के0 बिसेन, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले में उपलब्ध फसल अवशेष का अध्ययन करते हुए अवगत कराया गया कि लखीमपुर जनपद में उपलब्ध गेहूँ के फसल अवशेष से 1451 टन नाइट्रोजन, 285 टन फासफोरस तथा 3936 टन पोटास प्राप्त किया जा सकता है, जो किसानों के लिए बहुत की हित कर सिद्ध होगा। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि जनपद में कार्बन की उपलब्धता 0.75 थी जो अब घटकर के 0.20 तक सिमट गयी है, जिसका कुप्रभाव मृदा पर पड़ रहा है।


डा0 मो0 सुहेल, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में लगभग 2000 हे0 में केले की खेता की जा रही है। औद्यानिक फसलों के फसल अवशेष से तैयार खादों में 7 तरह के पोषक तत्व एवं विटामिन बी-6 की अधिकता होगी है। औद्यानिक फसल अवशेषों से तैयार खाद्य की गुणवत्ता उच्च श्रेणी की होती है। कृषकों द्वारा औद्यानिक के फसल अवशेषों से तैयार खाद से फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।


 मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा0 टी0के0 तिवारी ने अवगत कराया कि खेती के बाद पशुपालन एक महत्वपूर्ण अंग है। पशुओं का कृषि के फसल उत्पादन में मुख्य भूमिका रहती है। विभाग द्वारा वृहद रोग नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत खुरपका एवं मुहपका का टीकाकरण कराया जा रहा है, जिसमें पशुओं के कान में छल्ला लगाना अनिवार्य है एवं उनकी यूनिक आई0डी0 बनाई जा रही है। जिस कार्य में किसानों से सहयोग की अपेक्षा की गयी है। उनके द्वारा विस्तृत रूप से यूरिया टीटमेन्ट की जानकारी दी गयी तथा पशुओं के आहार में कैल्सियम को जोडने पर बल दिया गया। पराली का प्रयोग पशुओं के विछावन के रूप में करके किसानों द्वारा अच्छी खाद का निर्माण किया जा सकता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ायी जा सकती है। जिला कृषि अधिकारी सत्येंद्र प्रताप सिंह ने अवगत कराया कि राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर उपयुक्त मात्रा में गेहूँ का बीज अनुदान पर उपलब्ध है। फसलों के अवशेष न जलाने का अनुरोध किया गया।ज़िला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 आई0के0 गौतम ने अवगत कराया कि राजकीय कृषि रक्षा इकाई पर ट्राइकोडर्मा एवं विबेरियावैशियाना की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। कृषि रसायन से होने वाले विभिन्न रसायनों का मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय में आहवाहन किया गया कि किसान कम से कम कृषि रक्षा रसायनो का प्रयोग करें।


अन्त में उप कृषि निदेशक डा0 योगेश प्रताप सिंह द्वारा उपस्थित कृषकों को आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए गोष्ठी का समापन किया गया।


आयोजित कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक डा0 योगेश प्रताप सिंह जिला कृषि अधिकारी एस0पी0 सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 आई0के0 गौतम, प्रक्षेत्र प्रबन्धक जमुनाबाद डी0के0 सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 एस0के0 विश्वकर्मा, डा0 प्रदीप कुमार बिसेन, डा0 मो0 सुहेल, डा0 जिया लाल गुप्ता, कृषि वैज्ञानिक के0वी0के0, वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक नन्द लाल वर्मा, सहायक रेशम विकास अधिकारी, गन्ना विकास निरीक्षक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा0 टी0के0 तिवारी के साथ अधिक संख्या में कृषक उपस्थित रहे।


 


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