श्रावस्ती। एक तरफ जहां सरकार द्वारा जागरूकता अभियान तथा प्रशासन द्वारा छापेमारी अभियान चलाकर बालश्रम पर रोक लगाया जा रहा है। वहीं ग्राम प्रधानों द्वारा नाबालिग बच्चों से मनरेगा के तहत मजदूरी करवाकर शासन प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे बाल श्रम के खिलाफ अभियान की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी मजदूरी करने वाले नाबालिगों की पहचान कर उन्हें काम से हटाकर गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। मगर श्रावस्ती के एक गांव में ग्राम प्रधान द्वारा शासन प्रशासन और न्यायलय सभी के मंसूबों पर पानी फेरा जा रहा है। उक्त मामला विकास खण्ड गिलौला के ग्राम पंचायत रामपुर त्रिभौना से प्रकाश में आया है। जहां पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्राम प्रधान द्वारा कराये जा रहे चक मार्ग पटाई कार्य में नाबालिक बच्चों से काम कराया जा रहा है। मगर इस मामले में स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी से लेकर कार्य स्थल पर काम कराने वाले मेट तक इस बात की अनदेखी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार यहां पर मनरेगा मजदूरों के जाॅबकार्ड में उपस्थिति भरने में भी भारी लापरवाही बरती जा रही है। इस सन्दर्भ में जब मौके पर मौजूद मेट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो बच्चे मनरेगा में काम कर रहे हैं, इनके अभिभावक मनरेगा मजदूर हैं। जिनके अनुपस्थिति में उनके बच्चों को काम के लिए बुलाया गया है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि अभिभावक की गैर मौजूदगी में उनके मासूम बच्चों को पकड़ कर मनरेगा के तहत मजदूरी कराना कहां का न्याय है?
वहीं दूसरी तरफ मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों का कहना है कि महीनों पहले मनरेगा के तहत किए गए मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है।
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