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एक तरफ कातिल कोरोना का खौफ, तो दूसरी तरफ इंसानियत का घिनौना खेल




डलमऊ। रायबरेली। जहां एक तरफ कातिल कोरोना का खौफ तो दूसरी तरफ इंसानियत का घिनौना खेल देखने को मिल रहा है। दूसरे तो दूसरे अपने ही अपनों से इस कदर दूर हो रहे हैं कि इन्सानियत नाम की चीज चकनाचूर होती दिख रही है। शव को जलाने के बाद जहा परिवार के लोग दूर से चिता को टुकुर-टुकुर देखते हैं तो वहीं चिता की देखभाल करने का ठेका लेने वाले लोग तो घिनौना खेल पर आमादा है। बताते चलें कि इंसानियत का घिनौना रूप देखना है तो डलमऊ शमशान घाट पर कोरोना से हुई मौतों को देखिए जहां एक तरफ इंसान महामारी से जूझते हुए मौत की आग़ोश में समा रहा है वही उस शव की अंत्येष्टि करने के नाम पर आपदा को अवसर में बदलते हुए शव के परिजनों को लूटते कुछ व्यक्ति विशेष लोग मिल जायेंगे जो शव को अमानवीयता की हद पार करते हुए उसे अधजली अवस्था में क्षत विक्षत करने के साथ उन कुत्तों के लिए दावत का इंतजाम करते है जो शमशान में भटकते रहते हैं ऐसी वीभत्स व्यवस्था देख मानवीय होने के एहसास की धज्जियाँ उड़ा देती है ऐसे में मुर्दा ज़मीर के साथ लोग बड़े आराम से इसके एवज में परेशान परिवार के लोगों से मोटी रकम वसूलते है.इस परिस्थिति से निपटने के लिए तत्कालीन प्रशासन के पास न तो कोई रणनीति है न ही कोई भी ठोस कदम.सारे सुरक्षा मानक तार तार हो रहे हैं पूर्व उपजिलाधिकारी सविता यादव की तैनाती पर ऐसी विषम परिस्थितियों के लिए एक टीम गठित थी।

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